शिमला। केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार को पत्र लिखकर यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS लागू करने को कहा है। पत्र में हिमाचल सरकार को कहा गया है कि यदि सरकार इस स्कीम को लागू करती है तो ऐसे में केंद्र की ओर से उन्हें 600 करोड़ रुपये की विशेष सहायता दी जाएगी।
राज्य सरकार ने नहीं दी प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान अनुबंध पर नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (UPPS) में शामिल करने के लिए एक पत्र जारी किया है, जिसमें इस कदम के फायदों का उल्लेख किया गया है। हालांकि, राज्य सरकार ने अब तक इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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9,000 करोड़ रुपये का बकाया
यह पत्र विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां राज्य सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू किया है और केंद्र से 9,000 करोड़ रुपये का बकाया भी है। यह राशि एनपीएस (नई पेंशन स्कीम) कर्मचारियों का केंद्र में जमा किया गया हिस्सा है।
राज्य सरकार के सामने वित्तीय चुनौतियां
राज्य सरकार ने बार-बार इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है, लेकिन अभी तक यह बकाया राशि प्राप्त नहीं हो पाई है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार का मानना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए केंद्र ने हिमाचल पर कुछ आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हैं।
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उदाहरण के लिए, लोन लेने की सीमा 6,600 करोड़ रुपये तय की गई है और बाहरी सहायता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से नए वित्तीय प्रस्तावों के लिए भी एक सीमा निर्धारित की गई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक हिमाचल प्रदेश केवल 2,944 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों की मंजूरी के लिए पात्र होगा।
चुनावी गांरटी के तहत पुरानी पेंशन की बहाली
हिमाचल सरकार ने अपनी चुनावी गांरटी को पूरा करते हुए 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल कर दी है। अब, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार नए अनुबंध कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने का निर्णय लेती है या उन्हें नई पेंशन योजना (NPS) के तहत ही रखा जाएगा।
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यूनिफाइड पेंशन योजना की खासियत
यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS) एक विशेष योजना है, जिसे सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों की पेंशन संबंधी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है। इस योजना के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक स्थिर और सुरक्षित आय प्रदान करने के उद्देश्य से कई प्रमुख विशेषताएँ हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
1. पेंशन अमाउंट:
योजना के तहत मिलने वाली पेंशन, पिछले 12 महीनों में कर्मचारी को प्राप्त औसत बेसिक सैलरी का 50% होगी। इसका मतलब है कि कर्मचारी की पेंशन उसकी अंतिम बेसिक सैलरी पर निर्भर करेगी, जो उसके करियर के आखिरी 12 महीनों के औसत से निर्धारित की जाएगी।
2. न्यूनतम योग्यता सेवा:
इस योजना के तहत पेंशन पाने के लिए कर्मचारियों को कम से कम 25 वर्षों तक नौकरी करनी अनिवार्य होगी। हालांकि, अगर कोई कर्मचारी 10 वर्षों से अधिक सेवा करता है, तो 25 वर्ष से कम सेवा अवधि के लिए पेंशन का कैलकुलेशन अलग तरीके से किया जाएगा।
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3. फैमिली पेंशन:
यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी फैमिली पेंशन उसे दी जाएगी। परिवार को कर्मचारी की मौत से ठीक पहले की पेंशन का 60% मिलेगा। यह परिवार को एक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
4. न्यूनतम पेंशन:
इस योजना में यह सुनिश्चित किया गया है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को हर महीने कम से कम 10,000 रुपये पेंशन के रूप में मिलें, बशर्ते कि कर्मचारी ने न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा पूरी की हो। यह एक न्यूनतम स्तर की वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
5. महंगाई राहत:
पेंशन, फैमिली पेंशन और न्यूनतम पेंशन पर महंगाई राहत (Dearness Relief) प्रदान की जाएगी, ताकि समय के साथ बढ़ती महंगाई का असर पेंशनभोगियों पर कम से कम पड़े।
6. ग्रेच्युटी और एकमुश्त भुगतान:
रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को एकमुश्त भुगतान के रूप में ग्रेच्युटी दी जाएगी, इसके अलावा पेंशन भी प्रदान की जाएगी, ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा मिल सके।