शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार नवंबर माह के वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए वित्तीय इंतजामों में जुट गई है। राज्य सरकार के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है, क्योंकि हर महीने लगभग 2000 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन भुगतान के लिए खर्च होते हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये का लोन लेने का फैसला किया है।
500 करोड़ का लिया जाना है लोन
वित्त विभाग ने 500 करोड़ रुपये का लोन लेने का निर्णय लिया और इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अनुमति प्राप्त कर ली है। यह लोन खुली बोली के जरिए उठाया जाएगा, जिससे तत्काल वित्तीय जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
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हालांकि, इस लोन के बाद राज्य सरकार के पास दिसंबर 2024 तक की लोन लिमिट में केवल 500 करोड़ रुपये ही बचेंगे। 6300 करोड़ रुपये की लोन लिमिट का पूरा इस्तेमाल पहले ही हो चुका है, और भारत सरकार अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए अलग से लोन लिमिट जारी करती है।
रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में आएगी कमी
बता दें कि सरकार के लिए असली चुनौती अगले वित्त वर्ष की होगी, जब रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में आधे से भी अधिक कमी होने का अनुमान है। इससे राज्य सरकार के वित्तीय संकट में और इजाफा हो सकता है। ऐसे में, सरकार अगले वित्त वर्ष के बजट का फॉर्मेट बदलने पर विचार कर रही है, ताकि वित्तीय दबाव को कम किया जा सके और वित्तीय प्रबंधन बेहतर हो सके।
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लोन पर ब्याज की अदायगी से बचने की कोशिश
हालांकि, राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य एडवांस लोन पर ब्याज की अदायगी से बचना है। इस कारण वेतन और पेंशन के भुगतान को अलग-अलग शेड्यूल में बांटा गया है। नवंबर माह के वेतन की तारीख अभी तक तय नहीं हो पाई है, क्योंकि लोन के पैसे खाते में आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि भुगतान किस शेड्यूल के तहत किया जाएगा।