सोलन। हिमाचल में तीन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक सरगर्मियां एक बार फिर तेज हो गई हैं। ऐसी ही स्थिति हिमाचल की नालागढ़ विधानसभा सीट पर भी है। इस सीट पर दोनों ही पार्टियों में चुनाव लड़ने के कई तलबगार हैं। हालांकि भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशी लगभग तय माने जा रहे हैं। लेकिन भाजपा या कांग्रेस उन्हीं पर दांव खेलेगी यह अपने आप में रोचक है।
केएल ठाकुर को दिया टिकट तो बगावत कर सकते हैं लखविंदर
बता दें कि कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए केएल ठाकुर की शायद यही शर्त थी कि उपचुनाव में उन्हें ही भाजपा का टिकट दिया जाए। लेकिन अभी हाल ही में छह सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणामों ने भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बागियों को टिकट देकर कहीं गलती तो नहीं कर रही। ऐसे में अब तीन सीटों खासकर नालागढ़ में भाजपा केएल ठाकुर पर दांव खेलेगी या नहीं इस पर संशय बना हुआ है।
आजाद चुनाव भी लड़ सकते हैं लखविंदर
नालागढ़ से भाजपा में और भी कई नेता हैं, जो लंबे समय से पार्टी की सेवा कर रहे हैं और टिकट की चाह रखते हैं। इनमें हरप्रीत सैनी का नाम भी सबसे ऊपर माना जा रहा है। वहीं भाजपा के पूर्व प्रत्याशी लखविंदर राणा को मनाना भी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।
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कुल मिलाकर केएल ठाकुर को टिकट देकर भाजपा लखविंदर राणा और हरप्रीत सैनी की बगावत सहन नहीं करना चाहेगी। क्योंकि माना जा रहा है कि अगर भाजपा केएल ठाकुर को टिकट देगी तो लखविंदर राणा आजाद चुनाव लड़ सकते हैं।
कांग्रेस के पास सिर्फ हरदीप बावा
वहीं दूसरी तरफ अगर कांग्रेस की बात करें तो 2022 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा को निर्दलीय उम्मीदवार केएल ठाकुर से कड़ी हार का सामना करना पड़ा था। उस वक्त उनपर बाहरी होने का भी इल्जाम लगा था।
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हरदीप बावा के सामने रूठों को मनाना बड़ी चुनौती
हरदीप बावा को टिकट देकर कांग्रेस ने अपने ही कई नेताओं को बगावत करने पर मजबूर कर दिया था। जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में भुगतना भी पड़ा। लेकिन माना जा रहा है कि इन उपचुनावों में कांग्रेस के पास एकमात्र विकल्प हरदीप बावा ही हैं।
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कांग्रेस पार्टी अभी भी नालागढ़ में उनका विकल्प ढूंढ रही है। टिकट प्राप्ति के लिए उनको केवल अपने रूठे कार्यकर्ताओं को मनाना पड़ेगा।
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हरप्रीत भी सक्रिय
नालागढ़ से लंबे समय तक विधायक रहे हरिनारायण सैणी के भतीजे हरप्रीत सैणी भी राजनीति में सक्रिय हैं। बीते काफी समय से वह लोगों के बीच जा रहे हैं। इस बार उपचुनाव में अगर वह आजाद होते हैं तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।