शिमला। हिमाचल प्रदेश के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को चारों लोकसभा सीटों पर मिली हार का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा अपने-अपने गृह विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस प्रत्याशियों को लीड न दिला पाना बताया जा रहा है। CM सुक्खू के साथ-साथ उनकी कैबिनेट के कुल 9 मंत्री और 5 CPS तो अपने ही विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशियों को लीड दिलाने में सफल नहीं हो सके।
CM भी नहीं दिला पाए लीड
मुख्यमंत्री सुक्खू की ही बात करें तो CM भी अपने विधानसभा क्षेत्र नदौन से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा को लीड दिलाने में असफल रहे हैं। नादौन में भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को लगभग 2143 मतों की लीड मिली है।
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किस मंत्री ने गवाई कितनी लीड
CM के अलावा भी विधानसभा में बैठे लगभग सभी कांग्रेस के दिग्गज मंत्रियों ने अपने विधानसभा क्षेत्र से लीड गंवाई है। जहां मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने शिलाई से 2317 वोटों की लीड गंवाई। वहीं, मंत्री धनीराम शांडिल और चंद्र कुमार के क्षेत्र से भी भाजपा के प्रत्याशी लीड हासिल करने में सफल हुए हैं।
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इसी तरह मंत्री विक्रमादित्य सिंह की विधानसभा सीट शिमला ग्रामीण से भाजपा प्रत्याशी को 6448 वोटों की लीड मिली तो मंत्री अनिरुद्ध सिंह के कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से भी कांग्रेस 6039 वोटों से पीछे रह गई। इसके अलावा मंत्री राजेश धर्माणी के विधानसभा क्षेत्र घुमारवीं और मंत्री यादवेंद्र गोमा की जयसिंहपुर विधानसभा सीट पर भी भाजपा के लोकसभा प्रत्याशियों का दबदबा रहा।
इन नेताओं बचा ली कांग्रेस की इज्जत
वहीं, अगर कांग्रेस की लाज बचाने वाले नेताओं की बात करें तो डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, मंत्री जगत सिंह नेगी, रोहित ठाकुर और सीपीएस मोहनलाल ब्राक्टा ही कांग्रेस प्रत्याशियों को अपने घर विधानसभा क्षेत्र से लीड दिलाने में सफल हो सके हैं।
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CPS भी नहीं दिखा सके कमाल
हिमाचल सरकार के 5 संसदीय सचिव भी कांग्रेस प्रत्याशी को लोकसभा चुनावों में अपनी विधानसभाओं से लीड दिलाने में सफल नहीं हुए हैं। ऐसे में गौर करने वाली बात ये हो जाती है कि जिन सीटों पर विधानसभा चुनावों के दौरान बिगुल बजाते हुए कांग्रेस ने पूर्ण और स्पष्ट बहुमत के साथ हिमाचल में अपनी सरकार बनाई थी। उन्हीं, सीटों पर मात्र 15 महीनों में ही कांग्रेस प्रत्याशियों को किस तरह से हार का सामना करना पड़ा- यह कांग्रेस के लिए विमर्श का विषय होगा।