शिमला। हिमाचल प्रदेश में गेस्ट टीचर पॉलिसी पर विवाद होने के बावजूद अब इसे नए दृष्टिकोण से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिक्षा से जुड़ी एक कॉन्फ्रेंस में गेस्ट टीचर्स नियुक्त करने का सुझाव दिया जिसके बाद शिक्षा विभाग ने इस दिशा में कार्य शुरू किया है।
कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा प्रस्ताव
अब योजना बनाई जा रही है कि स्कूलों और कॉलेजों के प्रधानाचार्य अपनी आवश्यकता के अनुसार गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति कर सकें। इस प्रस्ताव को कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। राज्य सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे होने के बाद 12 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी।
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इन्हें सौंपी जाएगी जिम्मेदारी
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने हाल ही में सचिवालय में विभागीय बैठक में इस प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तावित नीति के तहत जिन स्कूलों में किसी विशेष विषय के शिक्षकों की कमी है वहां अस्थाई रूप से रोटेशनल आधार पर गेस्ट टीचर्स रखे जाएंगे। इसकी जिम्मेदारी संबंधित स्कूल या कॉलेज के प्रधानाचार्य को दी जाएगी।
अस्थाई प्रावधान के रूप में रहेंगे टीचर्स
गेस्ट टीचर्स को प्रति घंटा आधार पर मानदेय देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे लंबे समय तक एक ही स्थान पर न रहें। यह एक अस्थाई प्रावधान होगा जिसका उद्देश्य शिक्षण व्यवस्था को निर्बाध रूप से जारी रखना है, खासकर तब जब अचानक से कोई पद रिक्त हो जाए या शिक्षक का तबादला या सेवानिवृत्ति हो।
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कैबिनेट एजेंडा तैयार करने का निर्देश
गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के लिए प्रधानाचार्य एक पैनल गठित करेंगे और उसकी सिफारिश के आधार पर नियुक्ति की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने कैबिनेट एजेंडा तैयार करने का निर्देश दिया है। कैबिनेट में गेस्ट टीचर्स के अलावा शिक्षा विभाग से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होगी।
पहले हो चुका है इस पॉलिसी का विरोध
गौरतलब है कि पूर्व में गेस्ट टीचर पॉलिसी का काफी विरोध हुआ था। सरकार ने उस समय पीरियड-बेस्ड ऑवरली सिस्टम के तहत गेस्ट टीचर्स रखने का प्रस्ताव रखा था जिसे गलतफहमी के चलते वापस लेना पड़ा।
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युवाओं ने तर्क दिया था कि ऐसी प्रणाली से नेट, सेट और आयोग परीक्षाओं की तैयारी का महत्व कम हो जाता है। अब सरकार ने इस पॉलिसी को संशोधित कर बेहतर तरीके से लागू करने की योजना बनाई है।