शिमला। हिमाचल में 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने चार विधायकों को अपनी ही पार्टी से बगावत महंगी पड़ गई। 15 माह पहले जिन्हें जनता ने चुन कर विधानसभा भेजा था। इस बार उन्हें जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन चारों की विधायकी भी गई और बगावत का कलंक अलग से लग गया।
दिग्गज नेता राजेंद्र राणा भी नहीं बचा पाए अपनी सीट
कांग्रेस से बगावत कर भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ने वाले इन चार पूर्व विधायकों में दिग्गज नेता राजेंद्र राणा भी चुनाव हार गए। इसके अलावा कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो, गगरेट से चैतन्य शर्मा और लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर को भी इन चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। लाहौल स्पीति के पूर्व विधायक रवि ठाकुर की तो इन उपचुनावों में जमानत तक जब्त हो गई।
रविंद्र रवि की जमानत जब्त, 7 हजार मतों से हारे चैतन्य
वहीं 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए 15 हजार से भी अधिक मतों से जीतने वाले गगरेट के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा को भी जनता ने इस बार पूरी तरह से नकार दिया। 15 हजार मतों से पिछला चुनाव जीतने वाले चैतन्य शर्मा इस बार 7 हजार से अधिक मतों के अंतर से हार गए।
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सीएम सुक्खू के धुआंधार प्रचार ने घर बैठाए चार पूर्व विधायक
माना जा रहा है कि इन चारों पूर्व विधायकों के हारने का एक बड़ा कारण सुखविंदर सिंह सुक्खू का धुआंधार और आक्रामक चुनाव प्रचार रहा।
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सीएम सुक्खू ने जनता के समक्ष इन बगावत करने वाले नेताओं के खिलाफ ऐसा प्रचार किया, कि छह पूर्व विधायकों में से चार को घर में बैठा दिया। हालांकि भाजपा अपने दो प्रत्याशियों को जीत दिलवाने में सफल हो पाई।
तीन उपचुनावों में रहेगा कांग्रेस का फोकस
बता दें कि अब कांग्रेस का फोकस तीन अन्य देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव पर रहेगा। हालांकि कांग्रेस उपचुनाव में चार सीटें जीतने के बाद मजबूत स्थिति में आ गई है।
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68 विधानसभा सदस्यों वाले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास 38 विधायक हो जाएंगे। अब कांग्रेस देहरा हमीरपुर और नालागढ़ में उपचुनाव जीत कर विधायकों की संख्या 41 पहुंचाने के लिए भरसक प्रयास करेगी।