शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले कल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका देते हुए छह मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्ति को रद्द करने का फैसला सुना दिया है। भाजपा के सतपाल सत्ती सहित 11 विधायकों ने सीपीस की नियुक्ति को असंवैधानक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जिस पर कल बड़ा फैसला हुआ। अब यह छह सीपीएस सिर्फ विधायक हैं।
सीपीसी बने विधायकों की सदस्यता पर मंडराया खतरा
मुख्य संसदीय सचिव का पद जाने के बाद अब इन छह विधायकों की विधायकी पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद अब बीजेपी इन छह सीपीएस की विधायकी को चुनौती देने की सोच रही है। इसके लिए भाजपा कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में इन छह विधायकों की सदस्यता पर भी खतरे के बादल मंडरा सकते हैं।
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भाजपा राज्यपाल के समक्ष उठाएगी मुद्दा
सूत्रों की मानें तो भाजपा इन विधायकों की सदस्यता को रद्द करवाने के लिए जल्द ही राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात करने वाली है। भाजपा राज्यपाल से मिलकर सीपीएस बनाए गए इन छह विधायकों की सदस्यता को खत्म करने की मांग करेगी। राज्यपाल इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लिख सकते हैं।
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जयराम बोले थे विधायकों की रद्द होनी चाहिए सदस्यता
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सीपीएस पर हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही अपने तेवर साफ कर दिए थे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा था कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। भाजपा सीपीएस को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग कर सकती है।
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क्या हिमाचल में फिर होंगे उपचुनाव
माना जा रहा है कि अगर सब कुछ भाजपा के अनुसार हुआ तो हिमाचल में एक बार फिर छह सीटों पर उपचुनाव हो सकते हैं। सीपीएस बनाए गए छह विधायकों की सदस्यता खत्म होने पर प्रदेश के छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे। वहीं कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी 40 से घटकर 34 रह जाएगी। हालांकि कांग्रेस एक सीट जीत कर भी बहुमत हासिल कर लेगी।
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कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएंगी
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के दावे कर रही है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा कि सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश मिल गए है। जल्द हाईकोर्ट के आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी।