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January 9, 2025

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने उठाए कुछ सवाल

सुक्खू सरकार ने मानसून सेशन में पारित किया था बिल

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Governor return anti-defection law amendment bill

शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार और राजभवन के बीच जुबानी जंग चल रही है। इस सब के बीच राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सुक्खू सरकार का एक बिल वापस भेज दिया है। राज्यपाल ने इस बिल पर कुछ सवाल उठाए हैं और टिप्पणी भी दर्ज की है। अब यह बिल राजभवन ने वापस सुक्खू सरकार को भेज दिया है।

सुक्खू सरकार ने मानसून सेशन में पारित किया था बिल

दरअसल हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने मानसून सेशन में 4 सितंबर 2024 को दल बदलने वाले कानून के तहत आयोग्य घोषित हुए विधायकों की पेंशन और भत्ते रोकने वाला बिल पाया किया था। इस बिल के पास करने से पहले भाजप ने इसका कड़ा विरोध भी जताया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के बावजूद सुक्खू सरकार ने इस बिल को पारित कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था।

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने उठाए कुछ सवाल

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस बिल पर कुछ आपत्तियां दर्ज की और कुछ सवाल उठाए। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस बिल पर टिप्पणी कर इसे वापस सरकार को भेज दिया है। 

राज्यपाल ने लगाई यह आपत्तियां 

  • राज्यपाल ने इस बिल में लिखा है हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 को विधानसभा द्वारा पारित कर मेरी अनुमति के लिए भेजा गया है। इसे देखने पर पाया गया कि संशोधन विधेयक की धारा 6 (ख) में लागू होने की तिथि नहीं बताई गई।
  • विधेयक में पेंशन की रिकवरी का भी प्रावधान किया गया। मगर यह स्पष्ट नहीं किया कि इस प्रावधान के अनुसार विधानसभा का फिर से सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को दी जा रही अतिरिक्त पेंशन की भी वसूली की जानी है या नहीं 
  • यदि कोई अयोग्य व्यक्ति फिर निर्वाचित होकर विधानसभा का सदस्य बनता है तो ऐसी स्थिति में क्या उसे अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी या वह अयोग्य व्यक्ति के रूप में ही रहेगा? ऐसा व्यक्ति पेंशन का पात्र होगा या नहीं? यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है?

राज्य सचिवालय में चल रहा मंथन

राजभवन से इस बिल के वापस आने के बाद अब राज्य सचिवालय में इस पर मंथन चल रहा है। सूत्रों की मानें तो सरकार की अफसरशाही ने इसको लेकर सीएम सुक्खू से भी चर्चा की है। अब राजभवन को इस बिल की आपत्तियों को देखते हुए विस्तृत जवाब भेजा जाना है। 

 

बीते 4 सितंबर 2024 को सुक्खू सरकार ने दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित पूर्व विधायकों की पेंशन रोकने वाला संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित किया था। इसमें 2 पूर्व विधायक गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद करने का प्रावधान किया गया था। वहीं  4 अन्य पूर्व विधायकों धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस टर्म (14वीं विधानसभा) की पेंशन रोकने का प्रावधान था।

नौतोड़ पर चल रहा सरकार और राजभवन में टकराव

बता दें कि इन दिनों सुक्खू सरकार और राजभवन के बीच नौतोड़ कानून के तहत मिलने वाली जमीन को लेकर टकराव चल रहा है। दरअस जनजातीय क्षेत्रों में जिन लोगों के पास 20 बीघा से कम जमीन होती है, उन्हें सरकार की तरफ से नौतोड़ के तहत जमीन उपलब्ध करवाई जाती है। लेकिन जमीन देने में केंद्र के फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट आड़े आ रहा है।

केंद्र के इस एक्ट को निरस्त करने का अधिकार राज्यपाल के पास होता है। मंत्री जगत सिंह नेगी इसी के चलते राज्यपाल से इस बिल को लेकर मुलाकात करने की बात कह रहे थे। वहीं उन्होंने लोगों के साथ प्रदर्शन की भी बात कही थी। वहीं जगत सिंह नेगी के इस बयान पर राज्यपाल ने भी सख्त टिप्पणी की थी।

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