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September 3, 2024

सिर्फ सैलरी-पेंशन लेट नहीं: ये 5 चीजें हिमाचल में हुईं पहली बार, जानें

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार सूबे के सरकारी कर्मचारियों को टाइम पर पेंशन ना मिलने का मामला बीते कल से गरमाया हुआ है। व्यवस्था परिवर्तन का नारा देकर सत्ता में आई सुक्खू सरकार में पहली बार यह व्यवस्था देखने को मिली है की आज 3 दिन बीत जाने के बाद भी कर्मचारी अपने मोबाइल में आने वाले सैलरी पेंशन वाले मैसेज का इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन उन्हें सिर्फ मायूसी ही हाथ लगी है। मगर क्या आप जानते हैं- कि सैलरी पेंशन मिलने में हुई यह देर कोई पहली चीज नहीं है, जो सुक्खू सरकार के कार्यकाल में ही पहली बार हुई हो। प्रदेश में मौजूदा कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ऐसी कई सारी चीजें हुई हैं, जो आज तक हिमाचल प्रदेश के इतिहास में कभी नहीं देखी गईं।

19 महीनों में क्या-क्या पहली बार हुआ

एक कर्मचारी पर 5 गुना मेहरबानी: प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने आज से सरकार ने लगभग एक महीने पहले HPBOCW के चेयरमैन की तनख्वाह में एक लाख रुपए का इजाफा किया था। वहीं, इस मामले में हैरान करने वाला एक एंगल यह भी था कि चेयरमैन के वेतन में हुई बढ़ोतरी को गोपनीय रखने का भी प्रयास किया गया।

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सरकार के आदेशों पर HPBOCWB चेयरमैन को अब 30 हजार के बजाय 1 लाख 30 हजार रुपए, भत्ते और दूसरी सुविधाएं अलग से दी जा रही हैं। भाजपा के कई सारे नेताओं ने चेयरमैन नरदेव सिंह कंवर के वेतन में हुए इस इजाफे का विरोध भी दर्ज कराया है।

हिमाचल की सियासत में पहली बार इतने उपचुनाव-

  • कुल 68 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि एक ही सरकार के राज में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव कराने पड़े हों।
  • आमतौर पर हिमाचल में उपचुनाव की नौबत तभी आई है जब किसी निर्वाचित विधायक का आकस्मिक निधन हो गया हो।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 1993 से लेकर 2017 तक प्रदेश में सिर्फ 8 बार उपचुनाव कराए गए थे।
  • जबकि सुक्खू सरकार के 19 महीनों के कार्यकाल में दो अलग-अलग बार कर के कुल 9 सीटों पर उपचुनाव कराए गए।
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हजारों की संख्या में संस्थानों और स्कूल हुए डीनोटिफाई

  • सुक्खू सरकार के इन्हीं 19 महीनों के कार्यकाल में ही इतने सारे संस्थानों और स्कूलों को डीनोटिफाई किया गया कि इस सरकार को लोगों ने "डीनोटिफिकेशन वाली सरकार" तक कहना शुरू कर दिया था।
  • प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कई सारे संस्थानों, विभागों के डिविजन, स्कूल और कॉलेजों को डीनोटिफाई करने का फरमान निकालना शुरू कर दिया था।
  • डीनोटिफाई किए गए अधिकतर संस्थान पूर्व की सरकार के द्वारा शुरू किए गए थे और हजारों की संख्या में जारी हुई डीनोटिफिकेशन की अधिसूचनाओं को लेकर भाजपा की तरफ से विरोध भी दर्ज कराया गया था।

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एक साथ विधानसभा में पहुंचे पति-पत्नी

सुक्खू सरकार के 19 महीनों के कार्यकाल के दौरान हुए दूसरे उपचुनावों देहरा सीट से चुनाव जीतकर सीएम सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर भी विधानसभा की सदस्य बनीं और इसी के साथ हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला। यह भी पढ़ें: हिमाचल में आया आर्थिक संकट जयराम सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का नतीजा जब पति-पत्नी की जोड़ी एक साथ विधानसभा में आई हो। वहीं, सीएम और उनकी पत्नी का एक साथ विधानसभा में आना भी अपने आप में एक नया रिकॉर्ड बना गया।

पहली बार बिना निर्दलियों की हुई विधानसभा

वहीं, 2022 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले तीन निर्दलीय विधायकों को पहले इस्तीफ़ा देने और फिर भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने के बाद ऐसे समीकरण बने कि हिमाचल विधानसभा में एक भी निर्दलीय विधायक नहीं बचा और यह भी हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ। हालांकि, इस्तीफ़ा देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों में से दो विधायकों को उपचुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ गया था।

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