शिमला। हिमाचल प्रदेश में पहली बार विधानसभा सत्र में संसद की तर्ज पर अब पहली बार जीरो ऑवर्स शुरू होगा। इसके लिए आधे घंटे का समय दिया जाएगा। इस जीरो ऑवर्स में विधायक अपने सवालों को उठा पाएंगे। जिसके लिए निर्धारित समय भी विधायकों को दिया जाएगा।
लंबे समय से चल रही थी कोशिश
बता दें कि जीरो ऑवर्स शुरू करने की योजना पहले से ही चल रही थी। इससे पहले भी कई बार विधानसभा में संसद की तर्ज पर जीरो ऑवर्स को लाने की बात कही गई। लेकिन उस समय के स्पीकर ने इस बात पर ज्यादा गौर नहीं फरमाया।
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आज से शुरू होगा नया नियम
प्रदेश में चल रहे मानसून सत्र में इस बार विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने जीरो ऑवर्स को विधानसभा में लाने की पहल की है। बता दें कि प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद जीरो ऑवर्स शुरू होगाा। वहीं, इस पहल का स्वागत सभी विधायकों ने किया है।
जीरो ऑवर्स का फायदा
बता दें कि जीरो ऑवर्स में विधायक अपने सवालों को उठा पाएंगे। पहले विपक्ष के विधायक प्रश्नकाल के समय ही प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत प्रश्न पूछना शुरू कर रहे थे, जिससे संसद की कार्यवाही में दिक्कतें बढ़ गई थी। इन्हीं दिक्कतों को खत्म करने के लिए ये नया नियम लाया गया है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पिछले कल शाम के वक्त जीरो ऑवर्स शुरू करने की घोषणा की है।
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सदन की कार्यवाही में दिक्कत नहीं
जानकारी के अनुसार, प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद जीरो ऑवर्स शुरू होगा। जिसके बाद विधायक किसी भी मामले को उठा सकते हैं। जीरो ऑवर्स शुरू होने से प्रश्नकाल के दौरान की कार्यवाही बाधित नहीं होगी। साथ ही सदन में हर मुद्दे के लिए सही समय मिल पाएगा।
क्यों इसे 'शून्य काल' क्यों कहा जाता है?
'शून्य काल' का अर्थ संसदीय भाषा में यह प्रश्न काल के अंत और नियमित कार्य की शुरुआत के बीच का समय अंतराल है।जो कि दोपहर 12 बजे शुरू होता है। साठ के दशक के दौरान, संसद सदस्य प्रश्नकाल के बाद राष्ट्रीय और वैश्विक आयात के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते रहे। जिसे अब हिमाचल की विधानसभा में भी लागू किया जा रहा है।
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जीरो ऑवर्स से क्या होगा-
सदस्य की आवाज़ को प्राथमिकता: जीरो ऑवर्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सदस्यों को सीधे और बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अपनी बात उठाने का मौका प्रदान करता है। इससे उनकी चिंताओं और मुद्दों को त्वरित रूप से सुना जा सकता है।
जनहित के मुद्दों को उजागर करना: इस समय का उपयोग करके सदस्य तत्कालीन जनहित के मुद्दों को उजागर कर सकते हैं, जो अन्यथा नियमित एजेंडा में शामिल नहीं हो पाते हैं।
समस्याओं का समाधान: जीरो ऑवर्स में उठाए गए मुद्दों को सरकार और संबंधित विभागों के ध्यान में लाया जा सकता है, जिससे उनकी त्वरित समीक्षा और समाधान की संभावना होती है।
सहयोग और बातचीत: यह समय सरकारी और विपक्षी दोनों पक्षों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का एक अवसर भी होता है, जिससे विभिन्न मुद्दों पर समझौता या समाधान निकाला जा सकता है।
लोकतंत्र को सशक्त बनाना: जीरो ऑवर्स के माध्यम से सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को उजागर करने और उन पर चर्चा करने का एक कानूनी और प्रभावी तरीका मिलता है, जिससे लोकतंत्र की प्रक्रिया सशक्त होती है