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November 14, 2024

हिमाचल में CPS से खाली करवाए दफ्तर- सुख सुविधाएं छीनीं- गाड़ियों की चाबी भी ली वापस

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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के हालिया फैसले के बाद मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) को दिए गए कार्यालयों को खाली कराने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इनमें से कुछ कार्यालयों को खाली भी कर दिया गया है। इन सचिवों के साथ नियुक्त किए गए कर्मचारियों को भी वापस बुला लिया गया है और उन्हें आवंटित सरकारी गाड़ियां भी वापिस मंगवा ली गई हैं। प्रदेश सरकार ने कल शाम को इस संबंध में आदेश जारी किए थे।

CPS मंत्रियों के कामकाज में कर रहे थे सहयोग

यह भी पढ़ें संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई आज, मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की याचिका पर होगा फैसला इसके अलावा CPS को सरकार द्वारा दी गई अन्य सभी सुविधाएं जैसे- सरकारी आवास भी खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सचिवालय में CPS के कमरों में सन्नाटा रहा और कई CPS बुधवार को सचिवालय में नहीं देखे गए। ये CPS सरकार में मंत्रियों के साथ कामकाज में सहयोग कर रहे थे और इन्हें विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं।

हटाए गए CPS को इन विभागों से किया था अटैच

मोहन लाल ब्राक्टा : विधि, संसदीय कार्य और बागवानी विभाग राम कुमार : नगर नियोजन, उद्योग और राजस्व विभाग आशीष बुटेल : शहरी विकास और शिक्षा विभाग किशोरी लाल : पशुपालन और पंचायती राज विभाग संजय अवस्थी : स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग सुंदर सिंह ठाकुर : ऊर्जा, वन, परिवहन और पर्यटन विभाग यह भी पढ़ें : CM सुक्खू का गणित डगमगाया- एक मंत्री के खाली पद की रेस में आएंगे हटाए गए CPS

स्टाफ को भी बुलाया वापस

हाईकोर्ट के आदेशानुसार, प्रदेश सरकार ने CPS के सभी कर्मचारियों को भी हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। वरिष्ठ निजी सचिव भूरी सिंह राणा, तहमीना बेगम, विशेष निजी सचिव सत्येंद्र कुमार और अन्य स्टाफ को वापस बुला लिया गया है। जल्द ही कार्मिक विभाग इन कर्मचारियों की नई तैनाती के आदेश जारी करेगा।

ऐसे जा सकती है विधायकों की सदस्यता

HC हिमाचल ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि राज्य में CPS और PS की नियुक्ति का प्रावधान अदालत के इस निर्णय तक मान्य था। यह भी पढ़ें : पांच बहनों से छिन गया इकलौता भाई, लिफ्ट लेकर आ रहा था घर अयोग्यता अधिनियम 1971 के अंतर्गत इन नियुक्तियों को सुरक्षा प्राप्त थी लेकिन अब इस फैसले के बाद CPS और PS पदों को लाभ का पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) माना जाएगा। इसका अर्थ यह है कि यदि अब इन पदों पर नियुक्ति होती है तो संबंधित विधायकों की सदस्यता भी समाप्त हो सकती है।

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