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November 15, 2024

हिमाचल : पूर्व CPS से करवाया मकान खाली तो बोले- सड़क पर आ जाएं क्या हम

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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा CPS हटाए जाने के बाद पूर्व CPS मोहन लाल ब्राक्टा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे कोर्ट के आदेश का पूरी तरह सम्मान करते हैं। इस दौरान मीडिया ने सवाल पर कि कब तक मकान खाली किया जाएगा तो पूर्व CPS तल्ख हो गए।

भड़क गए पूर्व CPS ब्राक्टा 

पूर्व CPS मोहल लाल ब्राक्टा ने स्पष्ट किया कि फैसले के बाद सभी सुविधाएं स्वतः निरस्त मानी जाएंगी और जैसे ही वैकल्पिक व्यवस्था हो जाएगी सरकारी मकान खाली कर देंगे। यह भी पढ़ें : हिमाचल : रात को घर फोन कर सोया था रमेश, सुबह परिवार को मिली बुरी खबर

बाकी सुविधाएं छोड़ी हैं मकान भी छोड़ देंगे

ब्राक्टा ने कहा कि मकान की सुविधा विधानसभा से मिलती है और वे अभी विधायक होने के नाते इस सुविधा के पात्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "आप मकान के पीछे क्यों पड़े हैं, हम सब कुछ छोड़ने को तैयार हैं, जब बाकी सुविधाएं छोड़ दी हैं तो मकान भी छोड़ देंगे।"

वापस ली जाएं सरकारी सुविधाएं

गौर हो कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने CPS की नियुक्तियों के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी 6 CPS को तुरंत प्रभाव से हटाने का आदेश दिया था। जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने यह निर्णय लिया और सभी सरकारी सुविधाओं को भी वापस लेने का निर्देश भी जारी किए थे। इस फैसले के बाद राज्य सरकार के समक्ष चुनौती पूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में आज बदलेगा मौसम का मिजाज, जानें कब और कहां होगी बारिश-बर्फबारी

CPS एक्ट हुआ रद्द

बता दें कि, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का 2006 का CPS एक्ट रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान में मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही विधानसभा को इस प्रकार का एक्ट बनाने का अधिकार नहीं है, जिससे स्पष्ट होता है कि CPS की नियुक्तियां असंवैधानिक मानी जाएंगी। इस फैसले के बाद सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है क्योंकि CPS एक्ट के तहत नियुक्त सभी सचिव अब अपने पद से मुक्त हो चुके हैं।

स्टाफ भी लिया वापस

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सभी पूर्व CPS से सरकारी स्टाफ वापस लेने की अधिसूचना जारी कर दी है। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे CPS को आवंटित स्टाफ, गाड़ियां और अन्य सुविधाएं तत्काल प्रभाव से वापस लें। यह कदम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। यह भी पढ़ें : हिमाचल के डिपुओं में नहीं मिल रहा सस्ता राशन, जानिए क्या है कारण

सरकार के सामने उभरी चुनौती

इस फैसले का असर हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक संतुलन पर भी पड़ सकता है क्योंकि सभी मुख्य संसदीय सचिवों को हटाने के बाद अब उनकी नियुक्तियों की जगह अन्य व्यवस्थाएं करनी होंगी। इस फैसले से न केवल CPS की संवैधानिक वैधता पर प्रश्नचिह्न लग गया है, बल्कि सरकार के लिए एक नई चुनौती भी उत्पन्न हो गई है कि वे क्षेत्रीय संतुलन और विधायकों की संतुष्टि कैसे बनाए रखेंगे।

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