शिमला। आज 3 तारीख हो गई है, लेकिन हिमाचल की सुक्खू सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को आज भी वेतन और पेंशन नहीं दे पाई है। जबकि, कर्मचारियों और पेंशनरों को हर महीने सैलरी एक तारीख को मिल जाती थी। मगर इस बार कर्मचारी और पेंशनर पिछले दो दिन से फोन में वेतन और पेंशन के मैसेज का इंतजार कर रहे हैं।
आज सरकार से मिलेंगे कर्मचारी
प्रदेश में शायद ऐसा पहली बार हुआ है, जब कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिली है। लिहाजा आज कई कर्मचारी संगठन CM सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मिलकर जल्द सैलरी जारी करने का आग्रह करेंगे।
5 तारीख को सैलरी देगी सरकार
वहीं, हिमाचल प्रदेश के दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों और 1.50 लाख पेंशनरों को सैलरी कर्ज का ब्याज लौटाने के चक्कर में सुक्खू सरकार ने 5 तारीख के इनकी सैलरी देने का निर्णय लिया है।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि आज CM सुक्खू से मिलकर जल्द सैलरी देने का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने बैंकों से लोन ले रखा है। ऐसे में बैंक लोन की किश्ते 2 से 5 तारीख के बीच काटता है। सैलरी समय से ना मिलने के कारण कर्मचारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
आपके बता दें कि सिंतबर माह की शुरूआत रविवार से हुई थी। इसलिए कर्मचारियों और पेंशनरों को उम्मीद थी कि सोमवार यानी दो तारीख को उनका वेतन और पेंशन उन्हें मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रविवार को भी मिलती थी सैलरी पेंशन
एक तारीख को अगर रविवार आ रहा होता था तो सरकार शनिवार को ही ट्रैजरी में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर इस बार आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन 3 तारीख तक भी नहीं दे पाई है।
जयराम ठाकुर ने भी घेरी सुक्खू सरकार
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कभी कहते हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कहते हैं कि प्रदेश में आर्थिक स्थिति खराब नहीं है। नहीं गई है। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि कर्मचारियों व पेंशनर को एक तारीख को सैलरी न मिली हो।
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वेतन पेंशन के लिए चाहिए 2 हजार करोड़
- हिमाचल में करीब दो लाख सरकारी कर्मचारी हैं।
- प्रदेश में एक लाख 89 हजार के करीब पेंशनर हैं।
- कर्मचारियों के वेतन और पेंशनरों की पेंशन पर हर महीने खर्च होते हैं 2 हजार करोड़ रुपए
- सोमवार को कर्मचारियों और पेंशनरों के खाते में ट्रेजरी को डालनी है यह रकम
- ट्रेजरी के पास नहीं हैं इतने पैसे
- शनिवार और छुट्टी के दिन रविवार को सरकार से लेकर अधिकारी इन पैसों के इंतजाम में रहे व्यस्त।
मंत्रियों सीपीएस के वेतन से कैसे भरेगा खजाना
हिमाचल में चल रहे मानसून सत्र के बीच सरकार के सामने यह एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। जिसे सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी और अपने मंत्रियों, सीपीएस आदी के दो माह के वेतन और भत्तों को विलंबित करने का भी ऐलान किया था। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या मंत्रियों, सीपीएस के दो माह के वेतन से क्या कर्मचारियों और पेंशनरों की पेंशन का बंदोबस्त हो जाएग। अगर ऐसा नहीं होता है तो कर्मचारियों और पेंशनरों को इस माह वेतन और पेंशन के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
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ट्रेजरी की 750 करोड़ है ओवरड्राफ्ट लिमिट
हिमाचल सरकार के कोषागार की ओवरड्राफ्ट लिमिट 750 करोड़ के आसपास है। यानी इतना खर्चा बिना खाते में पैसे हुए किया जा सकता है, लेकिन अकेले वेतन का ही खर्च 1200 करोड़ है, इसलिए सिर्फ ओवरड्राफ्ट लिमिट से काम नहीं चलेगा। ऐसे में प्रदेश सरकार को यदि केंद्र से स्पेशल सेंट्रल अस्सिटेंस में कुछ मदद मिल जाए, तो कुछ राहत होगी।
हिमाचल में पांच साल में सैलरी का खर्च
- हिमाचल में आने वाले पांच साल में वेतन का खर्च 1.21 लाख करोड़ से अधिक होगा।
- वित्त वर्ष 2026-27 में सरकारी कर्मियों के वेतन पर ही सालाना 20639 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- वित्त वर्ष 2027-28 में ये खर्च 22502 करोड़ सालाना खर्च होंगे।
- वित्त वर्ष 2028-29 में 24145 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- वर्ष 2029-30 में 26261 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- वर्ष 2030-31 में सरकारी कर्मियों के वेतन का खर्च सालाना 28354 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- पांच साल में ये सारा कुल मिलाकर 121901 करोड़ रुपए बनता है।