शिमला। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच प्रदेश सरकार के लिए सुख की खबर है। लंबे समय से अटके भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानी BBMB के 4500 करोड़ रुपए के एरियर के भुगतान में आस जगी है। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान फैसला हिमाचल के हक में आता दिखा है।
कोर्ट द्वारा सरकारों के बीच सामंजस्य के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल को इस विषय पर हिमाचल, पंजाब व हरियाणा सरकारों के बीच सामंजस्य करने के निर्देश दिए है। वहीं कोर्ट ने भुगतान के मुद्दे पर सहमति बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
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बता दें कि अटार्नी जनरल ने हिमाचल का पक्ष कोर्ट के सामने रखा जिसके बाद कोर्ट द्वारा हिमाचल सरकार के दो बिंदुओं को लेकर सहमति देखी गई है।
हिमाचल को आर्थिक रूप से मिलेगी राहत
बता दें कि अब अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी। उस समय हिमाचल को भुगतान प्रकिया के आसार नजर आ रहे । बताया जा रहा है कि अगर कोर्ट द्वारा पंजाब और हरियाणा की सरकारों को भुगतान के निर्देश दिए जाएंगे तो हिमाचल के लिए ये राहत की बात होगी। बता दें कि मामला, 1300 करोड़ यूनिट बिजली देने और इसकी 15 साल में भुगतान प्रक्रिया से जुड़े हैं।
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क्या है मामला
बताया जा रहा है कि 2011 से हिमाचल को बीबीएमबी की बढ़ी हुई हिस्सेदारी मिलनी है। यदि कोर्ट हिमाचल के पक्ष में फैसला सुनाता है तो हिमाचल को हर साल 500 से 700 करोड़ रुपए की कमाई होगी। इस मामले में खुद सीएम सुक्खू पूरी जी-जान लगा रहे है। उन्होंने अपने ऊर्जा सलाहकार रामसुभग सिंह को इस मामले में सक्रिय रूप से काम करने के निर्देश दिए हैं।
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बीबीएमबी के तीन प्रोजेक्ट्स में हिस्सेदारी
जानकारी के अनुसार, बीबीएमबी के तीन प्रोजेक्ट हिमाचल की भूमि पर है। प्रदेश को 2011 से तीनों परियोजनाओं की बिजली में बढ़ा हुआ हिस्सा मिलना शुरू हुआ, लेकिन भाखड़ा परियोजना में 1966 से, डैहर प्रोजेक्ट में 1977 से व पौंग बांध परियोजना में 1978 से एरियर नहीं मिला है, जिसके लिए हिमाचल सरकार कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है। अगर हिमाचल सरकार इसमें सफल होगी तो सीधे तौर पर 4500 करोड़ का फायदा सरकार को होगा।