शिमला। हिमाचल के विकास के रथ को आगे बढ़ाने के लिए सरकारों को कर्ज लेना पड़ रहा है। हिमाचल में चाहे भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार, विकास के पहिये को धकेलने के लिए कर्ज रूपी पेट्रोल की जरूरत पड़ रही है। यह सिलसिला पिछले कई सालों से चलता आ रहा है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि हिमाचल के हर व्यक्ति पर एक लाख से अधिक का कर्ज हो गया है।
हर व्यक्ति के सिर पर है 1.17 लाख रुपए का कर्ज
मौजूदा समय की बात करें तो प्रदेश के हर व्यक्ति पर एक लाख 17 हजार रुपए का कर्ज है। आने वाले समय में कर्ज का यह बोझ लगातार बढ़ेगा। इसके कम होने की उम्मीद भी कम ही दिख रही है। बता दें कि साल 2017-18 की बात करें तो उस समय प्रदेश के प्रतिव्यक्ति पर 66.232 रुपए का कर्ज था, जो अब बढ़कर एक लाख 17 हजार तक पहुंच गया है।
डिप्टी सीएम ने पेश किए थे आंकड़े
कर्ज का यह पहाड़ साल दर साल बढ़ रहा है। मानसून सेशन में कांग्रेस सरकार के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कर्ज को लेकर जो आंकड़े पेश किए थे, वह चौंकाने वाले थे। आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पूर्व की जयराम सरकार के समय में वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति कर्ज 66.232 रुपए था। उसके अगले साल यानी साल 2018-19 में कर्ज का यह बोझ बढ़कर 69 हजार 743 हो पहुंच गया।
पांच साल में प्रति व्यक्ति दो लाख पहुंच जाएगा कर्ज
इसी तरह से साल 2019.20 में प्रति व्यक्ति कर्ज 76.575 रुपए पहुंच गया। साल 2020-21 में ये 82 हजार 700 रुपए हो गया। उसके अगले साल यानी 2021-22 में प्रति व्यक्ति पर कर्ज का यह बोझ 85 हजार 931 रुपए पहुंच गया।
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साल 2022-23 में कर्ज की यह सीमा एक लाख के पार हो गई। यानी 2022-23 में प्रति व्यक्ति पर एक लाख, दो हजार रुपए से अधिक का कर्ज हो गया था। वहीं साल 2023-24 में एक लाख पांच हजार और वर्तमान में 1.17 लाख रुपए पहुंच गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले पांच साल में ये पौने दो लाख रुपए प्रतिव्यक्ति तक पहुंच जाएगा।
सुक्खू सरकार नहीं दे पा रही वेतन पेंशन
हिमाचल प्रदेश के कर्ज पर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी चर्चा हो रही है। आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल की कांग्रेस सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन समय पर नहीं दे पा रही है। हालांकि इस बार सुक्खू सरकार ने दिवाली के त्यौहार को देखते हुए पहली से चार दिन पहले ही यानी 28 अक्तूबर को वेतन और पेंशन देने का ऐलान किया है। यही नहीं डीए की मांग कर रहे कर्मचारियों और पेंशनरों को भी 4 फीसदी महंगाई भत्ता देने की घोषणा कर दी है।
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हर सरकार ने कर्ज के पहाड़ को किया ऊंचा
हिमाचल में कर्ज लेने को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाती रहती हैं। लेकिन सच तो यह है कि चाहे भाजपा सरकार हो या कांग्रेस सरकार कर्ज के इस पहाड़ को ऊंचा करने में दोनों ही सरकारों का बराबर का हाथ रहा है। हर सरकार ने अपने कार्यकाल में प्रदेश के विकास के नाम पर हजारों लाख का कर्ज लिया है।
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केंद्र सरकार दूर कर सकती है हिमाचल का आर्थिक संकट
जानकारों की मानें तो अब हिमाचल की स्थिति ऐसी हो गई है कि सरकार चाहे कोई भी आए, बिना कर्ज के किसी भी सरकार की गाड़ी चलने वाली नहीं है। हां अगर केंद्र सरकार कोई बड़ा पैकेज हिमाचल को देती है तो जरूर बात बनेगी और प्रदेश आर्थिक संकट से बाहर निकल पाएगा। यानी अब केंद्र ही हिमाचल को आर्थिक संकट से निकालने की अंतिम उम्मीद है।