हमीरपुर। हिमाचल में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को एक हमीरपुर सीट पर ही जीत नसीब हुई है। इस सीट पर भी कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और पांचवी बार सांसद बने अनुराग ठाकुर की मेहनत रंग लाई और हमीरपुर में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही अनुराग ठाकुर का सियासी कद भी बढ़ गया है।
राजेंद्र राणा की हार के बाद से उठने लगे थे सवाल
ये जीत अनुराग ठाकुर के लिए संजीवनी का भी काम करेगी। दरअसल पिछले महीने छह सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा को हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद से पार्टी में बवाल मच गया था और अनुराग के समर्थकों पर भीतरघात के आरोप लगने लगे थे। लेकिन इस जीत ने उन आरोपों को नकार दिया है।
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हाईकमान के सामने बढ़ा अनुराग का कद
हमीरपुर सीट को जिताने का जिम्मा भाजपा हाइकमान ने अनुराग ठाकुर को सौंपा था। अनुराग ने भी कड़ी मेहनत की और इस सीट को पार्टी की झोली में डाल दिया।
ऐसे में अब अनुराग ठाकुर का कद भाजपा हाईकमान के सामने काफी बढ़ गया है। सीएम का गृह जिला होने के चलते कांग्रेस यहां जीत को लेकर आश्वस्त थी, लेकिन अनुराग ने कांग्रेस के से सीट छीन ली।
1967 के बाद से कांग्रेस एक बार जीत सकी है हमीरपुर सीट
बता दें कि हमीरपुर सदर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को अभी तक एक बार ही जीत मिली है। यहां 1967 से लेकर अब तक 11 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें 9 बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। एक बार कांग्रेस की अनीता वर्मा ने 2003 में यहां से जीत दर्ज की थी। वहीं एक बार यहां जनसंघ का भी कब्जा रहा है।
अपनों ने डूबाई भाजपा की नैया
वहीं बात अगर देहरा और नालागढ़ में भाजपा की हार की करें तो यहां भीतरघात ने बीजेपी की नैया डूबो दी। देहरा में भाजपा कार्यकर्ता और खास कर रमेश धवाला का गुस्सा होशियार सिंह की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा बना। नालागढ़ में भी भाजपा को अपने ही पूर्व प्रत्याशी हरप्रीत सैनी की वजह से हार का सामना करना पड़ा।