शिमला। हिमाचल में तीन सीटों पर हो रहे उपुचनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। भाजपा के अपने ही दो सीटों को डूबो सकते हैं। नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद अब तस्वीर साफ होने लगी है। देहरा और नालागढ़ में भाजपा अपने नाराज नेताओं को मनाने में कामयाब होती है या फिर पिछले चुनावों की ही तरह इस बार भी नेताओं की बगावत भाजपा पर भारी पड़ेगी, यह देखने वाली बात है।
धवाला, रवि की चुप्पी ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें
देहरा की बात करें तो यहां कांग्रेस में मचे घमासान को सीएम सुक्खू ने शांत कर दिया है। टिकट ना मिलने से नाराज डॉ राजेश शर्मा से मुलाकात के बाद सीएम सुक्खू उन्हें मनाने में कामयाब हो गए हैं। लेकिन दूसरी तरफ भाजपा की यहां मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। होशियार सिंह को टिकट देने से गुस्साए रमेश धवाला चुपचाप अपने घर में बैठ गए हैं।
होशियार के नामांकन में भी शामिल नहीं हुए दोनों पूर्व मंत्री
रमेश धवाला की यह चुप्पी होशियार सिंह के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है, इसका अंदाजा भाजपा को भी है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व में मंत्री रहे रविंद्र रवि भी अभी तक भाजपा की बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं।
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रमेश धवाला और रविंद्र रवि होशियार सिंह के नामांकन में भी नहीं दिखे। इससे एक बात तो साफ है कि यह दोनों ही नेता भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। दोनों पूर्व मंत्रियों की ओर से बनाई गई इस दूरी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
भाजपा के हरप्रीत सिंह ने भरा है आजाद नामांकन
वहीं नालागढ़ सीट पर भी भाजपा को अपनों से नुकसान हो सकता है। यहां टिकट ना मिलने से नाराज भाजपा के पूर्व मंत्री रहे दिवंगत हरिनारायण सिंह सैनी के भतीजे हरप्रीत सिंह ने निर्दलीय नामांकन भर कर यहां के सियासी समीकरणों को उलझा दिया है। हरप्रीत सिंह भाजयुमो के प्रदेश सहमीडिया प्रभारी भी हैं।
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लखविंदर राणा भी भाजपा प्रत्याशी का कर रहे थे विरोध
बीते रोज शुक्रवार को नामांकन के अंतिम दिन हरप्रीत सिंह सहित नालागढ़ से आठ उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरे हैं। यहां से कांग्रेस के पूर्व विधायक और वर्तमान में भाजपा नेता लखविंद्र राणा का चुनावों में क्या रुख रहेगा, इस पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं। क्योंकि लखविंदर राणा भी भाजपा प्रत्याशी का विरोध कर चुके हैं।