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August 17, 2024

मलाणा राशन ले जा रहे हेलीकॉप्टर की नहीं हुई लैंडिंग-सड़क बनने में लगेगा 6 महीने का समय

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कुल्लू | हिमाचल प्रदेश में 31 जुलाई की रात को आई तबाही ने गांव के गांव उजाड़ दिए। सड़कों और पुलों को ध्वस्त कर लोगों के जीवन को और कठिन बना दिया। मणिकर्ण घाटी के मलाणा में भी 31 जुलाई और 1 अगस्त को हुई बारिश ने गांव को दुनिया से जोड़ने वाली एक मात्र सड़क बह गई। जिसके बाद मलाणा गांव के लोगों को यातायात और जरूरत के सामान को लाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, शनिवार को मलाणा गांव के लिए प्रशासन द्वारा राशन से भरा हेलीकॉप्टर भेजा गया। लेकिन हेलीकॉप्टर लैंड ही नहीं कर पाया।

2 बार किया प्रयास, लेकिन नहीं हुआ लैंड

मलाणा गांव के लिए हेलीकॉप्टर को शनिवार सुबह भुंतर हवाई अड्डा से राशन लेकर मिलन की ओर भेजा गया। लेकिन हैलीपैड के समीप बड़े-बड़े पेड़ होने के चलते लैंडिंग मुश्किल थी। जिस कारण राहत पहुंचाए बगैर ही हेलीकॉप्टर को लौटना पड़ा है।

पहले भी भेजा था हेलीकॉप्टर

जानकारी के लिए बता दें कि बीते शुक्रवार को CPS सुंदर ठाकुर और SDM विकास शुक्ला ने भी मलाणा गांव में हेलीकॉप्टर के माध्यम से जाने का प्रयास किया था। उड़ान भरे हेलीकॉप्टर ने मलाणा में हैलीपैड पर उतरने का प्रयास किया था, लेकिन ये प्रयास भी असफल रहा। जिसके बाद ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

राशन नहीं पहुंचा तो भूखे रहेंगे लोग

राशन लेकर उड़ा हेलीकॉप्टर हैलीपैड पर लैंड नहीं कर पाने के कारण लोगों को चिंता में डाल गया है। स्थानीय लोगों को अब राशन की चिंता भी सताने लगी है। वहीं, मलाणा में मेले का आयोजन भी किया जा रहा है, ऐसे में भारी संख्या में आए मेहमानों का खाना-पीना कैसे हो यह एक दिक्कत का कारण बना हुआ है। यह भी पढ़ें: हिमाचल में फिर तबाही! पानी का सैलाब देख घर छोड़ भागे लोग, 6 पंचायतों का मोबाइल सिग्नल ठप

ग्रामीणों ने किया था हेलीपैड का निर्माण

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बादल फटने के कारण मलाणा गांव की सड़क बूरी तरह से धंस चुकी है। जिसके बाद यातायात के लिए ग्रामीणों द्वारा हेलीपैड का निर्माण किया गया था। लेकिन हेलीपैड अभी ग्रामीणों के लिए राहत सामग्री उतारने में असमर्थ नजर आ रहा है।

सड़क बनने में लगेंगे 6 महीने

बताया जा रहा है कि बही सड़क को बनाने में अभी 6 महीने का समय लग जाएगा। मशीनरी को पहुंचाने में भी समय लग रहा है। वहीं मौसम भी अनुकूल नहीं है। जिसके कारण ग्रामीणों के पास हेलीकॉप्टर ही एकमात्र विकल्प है। यह भी पढ़ें: हिमाचल: BO और फॉरेस्ट गार्ड की मिली भगत, फर्जी साइन कर खाते से उड़ाए 14 लाख

घोड़े और खच्चर का विकल्प बचा

वहीं हेलीकॉप्टर की लैंडिंग ना होने के कारण अब प्रशासन को अगले विकल्प की खोज है। राशन पहुंचाना प्राथमिका है, जिसके लिए रणनीति बनाई जा रही है। पुराने समय में घोड़ों और खच्चर के जरिए कठिन स्थानों तक सामग्री पहुंचाई जाती थी। और प्रशासन भी अब कुछ ऐसा ही करने जा रहा है। प्रशासन के द्वारा राशन भिजवाने के लिए दूसरी व्यवस्था पर विचार करते हुए घोड़ों और खच्चरों के जरिए राशन पहुंचाने की बातें सामने आई हैं।

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