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July 27, 2025
शिमला SP संजीव गांधी ने पहले हाईकोर्ट को किया गुमराह- फिर मांगी माफी, जानें पूरा मामला
झूठे शपथपत्र पर कोर्ट ने माफी स्वीकार की, नोटिस रद्द
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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला के SSP संजीव कुमार गांधी को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने यह फैसला उस मामले में सुनाया, जिसमें संजीव गांधी पर अदालत को झूठे हलफनामे के ज़रिए गुमराह करने का आरोप था।
हालांकि, संजीव गांधी ने अदालत में माफीनामा पेश किया जिसे स्वीकार कर कोर्ट ने कार्रवाई को रोक दिया। यह विवाद एक आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) से संबंधित एक प्रावधान का हवाला देकर राज्य सरकार ने सजा के निलंबन का विरोध किया था।
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जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उस प्रावधान को असंवैधानिक घोषित कर चुका था। इस मामले में अपीलकर्ता गुड्डू राम ने सजा निलंबन के लिए याचिका दायर की थी और उसी के जवाब में तत्कालीन SP शिमला संजीव गांधी ने एक हलफनामा दायर किया था।
न्यायाधीश राकेश कैंथला ने इस हलफनामे को प्रथम दृष्टया झूठा करार देते हुए कहा कि यह अदालत को गुमराह करने की कोशिश थी। इसके बाद अदालत ने संजीव गांधी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश जारी किया। जवाब के साथ संजीव गांधी ने माफीनामा भी दायर किया, जिसे अदालत ने मान लिया और मामले को वहीं समाप्त कर दिया।
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साथ ही हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता गुड्डू राम की सजा को मुख्य अपील के निपटारे तक निलंबित कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपील में समय लग सकता है और आरोपी पहले ही 18 महीने की कठोर सजा भुगत चुका है, इसलिए न्यायहित में सजा को रोका जाता है।
इस मामले के सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने इस फैसले से स्पष्ट कर दिया कि झूठे शपथपत्रों को हल्के में नहीं लिया जाएगा, लेकिन यदि संबंधित अधिकारी गलती स्वीकार कर लेता है तो उसे राहत भी मिल सकती है।