चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला में मां-बेटे की स्क्रब टायफस से मौत के बाद अब स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। प्रदेश स्तर की स्वास्थ्य विभाग की टीम किहार उपमंडल के पणताह क्षेत्र पहुंची है- जहां मां-बेटे की स्क्रब टायफस से मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां ग्रामीणों के सैंपल लेने के साथ-साथ उन्हें दवाइयां दे रही है।
आपको बता दें कि किहार स्वास्थ्य खंड में स्क्रब टायफस के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पूरे क्षेत्र में जिले की रैपिड रिस्पांस टीम तैनात कर दी है। यह टीम गांव में घर-घर और आसपास के दायरे में जाकर कीटनाशक स्प्रे का छिड़काव कर रही है। इस टीम में चिकित्सक, फार्मासिस्ट और लैब तकनीशियन शामिल हैं।
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इसके अलावा टीम द्वारा स्क्रब टायफस को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही बुखार आने पर तुंरत चिकित्सक से चेकअप करवाने की सलाह दे रही है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेएस भारद्वाज ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर स्क्रब टायफस को लेकर चिकिसाधिकारी किहार को पंचायत में गांव स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।
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गौरतलब है कि बीते दिनों सलूणी क्षेत्र की स्नूह पंचायत में घास काटते समय स्क्रब टायफस वाले कीड़े के काटने से मां और बेटे की मौत हो गई। दोनों की मौत दो दिन के अंतराल में हुई है।
जानलेवा बीमारी है स्क्रब टायफस
अगर आप इस स्क्रब टायफस नाम की जानलेवा बीमारी से बचना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है। आज हम आपको बताएंगे कि यह बीमारी कैसे फैलती है, इसके लक्षण क्या है और इसका इलाज क्या है।
क्या है स्क्रब टायफस?
स्क्रब टायफस के लक्षण डेंगू फीवर से मिलते-जुलते हैं- मगर जांच में ना तो डेंगू निकलता है और ना ही टाइफाइड फीवर। इस बीमारी से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। यह बीमारी एक जानलेवा बीमारी होती है।
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स्क्रब टाइफस फीवर को बुश टाइफस भी कहा जाता है। आमतौर पर तेज बुखार के साथ होने वाली यह संक्रामक बीमारी झाड़ियों (स्क्रब) में पाए जाने वाले माइट (चींचड़ा) के काटने से फैलती है। इसलिए इस बीमारी का नाम स्क्रब टाइफस पड़ा है।
कैसे फैलती है बीमारी?
यह बीमारी बैक्टीरिया से संक्रमित पिस्सु के काटने पर फैलती है। इसके बाद यह स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। शुरुआत में इस बीमारी का सिर्फ किसान-बागवान की शिकार हुए हैं। मगर अब यह बीमारी फैल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों और झाड़ियों में रहने वाले चूहों पर चिगर्स कीट पाया जाता है। अगल इन संक्रमित चिगर्स या चूहों का पिस्सू काट ले तो ओरेंशिया सुसुगेमोसी बैक्टीरिया व्यक्ति के खून में प्रवेश कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है।
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क्या है स्क्रब टाइफस के लक्षण?
इस बीमारी के लक्षण पिस्सु के काटने के दस दिन बाद दिखने शुरू होते हैं। स्क्रब टाइफस से संक्रमित व्यक्ति को
- बुखार के साथ कंपकंपी ठंड
- सिर, बदन और मांसपेशियों में तेज दर्द
- हाथ, पैर, गर्दन और कूल्हे के नीचे गिल्टियां
- शरीर में दाने-दाने
- सोचने-समझने की क्षमता कम
ऐसे में अगर इसका समय पर इलाज ना करवाया जाए तो भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या महसूस होने लगती है। कभी-कभी कुछ लोगों के ऑर्गन फेल होने के साथ-साथ इंटरनल ब्लीडिंग होने लग जाती है।
कैसे करें स्क्रब टाइफस की जांच?
स्क्रब टाइफस की जांच के लिए एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट यानी एलीजा टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट IGG और IGM की जानकारी अलग से देता है। इसमें मरीज का ब्लड सैंपल लेकर एंटीबॉडीज का पता किया जाता है। स्क्रब टाइफस की जांच की एक किट की कीमत करीब 18 हजार से 20 हजार रुपए तक होती है। एक किट के जरिए 70 से 75 टेस्ट किए जाते हैं।
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क्या है स्क्रब टाइफस से इलाज?
आमतौर पर डॉक्टर्स बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। मगर फिलहाल स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है। स्क्रब टाइफस से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है।
कैसे करें स्क्रब टाइफस से बचाव?
- स्क्रब टाइफस से बचने के लिए
- चूहा, गिलहरी और खरगोश से रहें दूर
- नंगे पैर घास पर ना चलें
- शरीर को पूरी तरह ढकने वाले पहने कपड़े
- घर के आसपास झाड़ियों/घनी घास को रखें साफ
- साफ-सफाई का रखें खास ख्याल
- कीटनाशक दवाओं का करें छिड़काव