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October 15, 2024

हिमाचल में फिर स्क्रब टायफस ने दी दस्तक, जानिए लक्षण, बचाव और कारण

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस के मामले फिर से सामने आने लगे हैं। सूबे के सबसे बड़े अस्पताल IGMC शिमला में स्क्रब टायफस के चार नए मामले सामने आए हैं। इन चारों मरीजों में तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल है। अस्पताल में स्क्रब टायफस के नए मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। आपको बता दें कि इस साल IGMC शिमला में अब तक 580 मरीजों के स्क्रब टायफस के टेस्ट हुए हैं। जिनमें से 52 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अभी तक प्रदेश में स्क्रब टायफस से चार लोगों की मौत हो चुकी है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : बोलेरो की बस से हुई टक्कर, एक ही परिवार के सात लोग थे सवार

क्या है स्क्रब टायफस?

स्क्रब टायफस के लक्षण डेंगू फीवर से मिलते-जुलते हैं- मगर जांच में ना तो डेंगू निकलता है और ना ही टाइफाइड फीवर। इस बीमारी से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। यह बीमारी एक जानलेवा बीमारी होती है। स्क्रब टाइफस फीवर को बुश टाइफस भी कहा जाता है। आमतौर पर तेज बुखार के साथ होने वाली यह संक्रामक बीमारी झाड़ियों (स्क्रब) में पाए जाने वाले माइट (चींचड़ा) के काटने से फैलती है। इसलिए इस बीमारी का नाम स्क्रब टाइफस पड़ा है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : दो बहनों से छिन गया इकलौता भाई, बाइक में पेट्रोल भरवाने गया था दिनेश

कैसे फैलती है बीमारी?

यह बीमारी बैक्टीरिया से संक्रमित पिस्सु के काटने पर फैलती है। इसके बाद यह स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। शुरुआत में इस बीमारी का सिर्फ किसान-बागवान की शिकार हुए हैं। मगर अब यह बीमारी फैल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों और झाड़ियों में रहने वाले चूहों पर चिगर्स कीट पाया जाता है। अगल इन संक्रमित चिगर्स या चूहों का पिस्सू काट ले तो ओरेंशिया सुसुगेमोसी बैक्टीरिया व्यक्ति के खून में प्रवेश कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है।

क्या है स्क्रब टाइफस के लक्षण?

इस बीमारी के लक्षण पिस्सु के काटने के दस दिन बाद दिखने शुरू होते हैं। स्क्रब टाइफस से संक्रमित व्यक्ति को
  • बुखार के साथ कंपकंपी ठंड
  • सिर, बदन और मांसपेशियों में तेज दर्द
  • हाथ, पैर, गर्दन और कूल्हे के नीचे गिल्टियां
  • शरीर में दाने-दाने
  • सोचने-समझने की क्षमता कम
ऐसे में अगर इसका समय पर इलाज ना करवाया जाए तो भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या महसूस होने लगती है। कभी-कभी कुछ लोगों के ऑर्गन फेल होने के साथ-साथ इंटरनल ब्लीडिंग होने लग जाती है। यह भी पढ़ें : हिमाचल: टोल बैरियर के कैबिन में घुसा दी कार, तीन युवकों को रौंदा

कैसे करें स्क्रब टाइफस की जांच?

स्क्रब टाइफस की जांच के लिए एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट यानी एलीजा टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट IGG और IGM की जानकारी अलग से देता है। इसमें मरीज का ब्लड सैंपल लेकर एंटीबॉडीज का पता किया जाता है। स्क्रब टाइफस की जांच की एक किट की कीमत करीब 18 हजार से 20 हजार रुपए तक होती है। एक किट के जरिए 70 से 75 टेस्ट किए जाते हैं।

क्या है स्क्रब टाइफस से इलाज?

आमतौर पर डॉक्टर्स बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। मगर फिलहाल स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है। स्क्रब टाइफस से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है। यह भी पढ़ें : सुक्खू सरकार ने विदेश में दिलवाया हिमाचली युवाओं को रोजगार; जानें कितना मिला पैकेज

कैसे करें स्क्रब टाइफस से बचाव?

  • स्क्रब टाइफस से बचने के लिए
  • चूहा, गिलहरी और खरगोश से रहें दूर
  • नंगे पैर घास पर ना चलें
  • शरीर को पूरी तरह ढकने वाले पहने कपड़े
  • घर के आसपास झाड़ियों/घनी घास को रखें साफ
  • साफ-सफाई का रखें खास ख्याल
  • कीटनाशक दवाओं का करें छिड़काव

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