शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली से उपजे अवैध मस्जिद विवाद की गूंज को पूरे हिमाचल में सूना जा सकता है. प्रदेश में जगह-जगह हुए प्रदर्शनों से प्रदेश के माहौल में तनाव को महसूस किया जा सकता है.
इसी तनाव को कम करने के लिए और प्रदेश में फिर सौहार्द बनाने के लिए वामपंथी संगठन सहित अन्य कई संगठन शिमला में सद्भावना मार्च निकाल रहे हैं. सद्भावना मार्च शिमला के DC ऑफिस से शुरू हुआ है और लोअर बाजारसे होते हुए माल रोड स्कैंडल प्वॉइंट तक निकाला जाएगा.
रिटायर्ड अफसर भी बने मार्च का हिस्सा
जानकारी के अनुसार इस सद्भावना मार्च में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के भी कुछ नेता व कार्यकर्ता शामिल हैं. इसके अलावा सद्भावना मार्च में सीटू , हिमाचल किसान सभा, महिला जनवादी समिति, नौजवान सभा, छात्र संगठन और नगर निगम के पार्षद भी शामिल हैं. दो दिन पहले शिमला में इसी संदर्भ में हुई पत्रकार वार्ता में माकपा के अलाला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता शामिल हुए थे.
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मार्च में रिटायर्ड आईएएस दीपक सानन, रिटायर्ड न्यायाधीश राजीव शर्मा व वीके शर्मा सहित रिटायर्ड आईएफएस कुलदीप सिंह तंवर, पूर्व एमएलए राकेश सिंघा, पूर्व मेयर व डिप्टी मेयर सहित अन्य लोग शामिल नज़र आ रहे हैं. इन सभी ने शिमला की आम जनता से अपील की है कि वे शांति मार्च का हिस्सा बनने की अपील भी की थी
प्रदेश की छवि हो रही खराब
शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी के नाम से पर्चे भी आम जनता में बांटे गए थे. कहा गया है कि शिमला में माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है. दो लोगों के आपसी झगड़े को दो समुदायों के बीच विवाद का रूप देकर माहौल बिगाड़ा जा रहा है. इससे पर्यटन को नुकसान हो रहा है और प्रदेश की छवि खराब हो रही है.
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देवभूमि संघर्ष समिति ने घेरा
वहीं, इस सद्भावना मर्च को लेकर देवभूमि संघर्ष समिति ने सवाल उठाते हुए कहा है की जब ऊना में नाबालिग प्रार्ची राणा का गला रेत कर उसकी हत्या की गई थी, तब ये सद्भावना कहां थी?
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साथ ही समिति ने मनोहर हत्याकांड, राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड व दलित स्कूली छात्र की चाकू मार कर हत्या कर देने वाले मामले को उठाकर पूछा है कि उस समय सद्भावना रैली क्यों नहीं की गई? वहीं, देवभूमि संघर्ष समिति भी शनिवार को प्रवासियों के पंजीकरण व अवैध मस्जिदों के निर्माण का मुद्दा उठाते हुए विरोध प्रदर्शन करेगी.