#विविध

September 15, 2024

कल खत्म होगा काला महीना: पति से मिलेंगी नई नवेली दुल्हनें, जानें क्या है मान्यता

शेयर करें:

हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है। यहां के लोग आज भी सदियों पुरानी अपनी परंपराओं को सहेजे हुए हैं। ऐसी ही एक परंपरा है काला महीना, जिसमें नई नवेली दुल्हनों को एक माह के लिए अपने मायके भेज दिया जाता है। इस काले महीने में ना तो नई नवेली दुल्हनें अपनी सास का चेहरा देखती हैं और ना ही उनका पति यानी दूल्हा अपनी सास का चेहरा देखता है।

कल खत्म होगा काला महीना

कल यानी सोमवार को संक्रांती के दिन यह काला महीना खत्म हो रहा है। ऐसे में अपनी नई नवेली दुल्हन का एक महीने से इंतजार कर रहे उनके पतियों की खुशी देखने लायक होगी। कल सभी नई नवेली दुल्हनें एक महीने पहले अपने ससुराल वापस लौटेंगी। हिमाचल के लगभग सभी जिलों में आज भी यह परंपरा निभाई जाती है। भले ही शादी को चंद दिन हुए हों या फिर कई महीने, अगस्त में काला महीना शुरू होते ही दुल्हन को सुसराल के लोग मायके छोड़ आते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह भी पढ़ें: 6 घंटे तक टांडा में तड़पती रही कारगिल शहीद की मां, हुआ दुखद निधन

कब शुरू होता है यह काला महीना

दरअसल हर साल काले महीने की शुरूआत सावन माह के खत्म होते ही भाद्रपद के आगाज के साथ होता है। शादी के बाद नई नवेली दुल्हनों के लिए अपने मायके में जाने की यह सबसे लंबी छुट्टी होती है। काला महीना लगभग एक माह का होता है, लेकिन कई बार यह इससे अधिक भी हो जाता है। इस काला महीना में दामाद का अपनी सास और बहू का अपनी सास का चेहरा देखना शुभ नहीं माना जाता है।

शादी के पहले साल मनाया जाता है काला महीना

काला महीना शादी के बाद पहले साल ही मनाया जाता है। यानी शादी के एक साल में आने वाले काले महीने में दुल्हनों को उनके मायके भेज दिया जाता है। हालांकि आज की आधुनिकता की दौड़ में यह परंपराएं खत्म हो रही हैं। वहीं दूसरी तरफ घर से दूर नौकरी करने वाले पति अपनी नई नवेली दुल्हन को मायके भेजने की बजाय अपने साथ भी ले जाते हैं। यह भी पढ़ें : सुक्खू सरकार की किस योजना के मुरीद हुए राहुल गांधी, यहां जानें पूरी डिटेल

कैसे मायके भेजी जाती है नई बहू

सावन माह के बाद जब काला महीना की शुरूआत होती है तो उससे पहले ही नई नवेली दुल्हने को उसके मायके भेज दिया जाता है। इसके लिए बकायदा तैयारियां की जाती हैं। ससुराल पक्ष द्वारा बहु को एक टोकरी में पकवान व फल इत्यादि भरकर भेजा जाता है। इसी तरह से जब बहू काला महीना काट कर वापस ससुराल आती है तब भी उसे इसी तरह से पकवानों के साथ विदा किया जाता है। इसके अलावा बेटी के साथ मायके वाले ससुराल पक्ष को नए कपड़े आदि भी देकर भेजते हैं।

इस बार कब खत्म हो रहा काला महीना

  • बता दें कि इस बार काला महीना 17 अगस्त को शुरू हुआ था और 16 सिंतंबर को संक्रांति के साथ ही खत्म होगा।
  • कल 16 सितंबर को संक्रांति के दिन या उसके बाद नई नवेली दुल्हनें अपने पति के पास पहुंचेंगी। बेटी को ससुराल भेजने की तैयारी में मायका पक्ष जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ ससुराल पक्ष में भी बहु के स्वागत के लिए तैयारियां की जा रही हैं।
  • बताया जा रहा है कि इस बार 16 सिंतबर को संक्रांति है और 17 सिंतबर को श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है। ऐसे में जो दुल्हनें कल संक्रांति के दिन ससुराल नहीं आ पाएंगी वह उसके बाद श्राद्ध खत्म होने के बाद यानी 3 अक्तूबर से शुरू होने वाले नवरात्र में ही वापस ससुराल लौट सकेंगी।

क्या है इसके पीछे मान्यता

  • एक मान्यता के अनुसार इस काला महीना में अगर बहू अपनी सास का चेहरा देख लेती है तो सास और बहू के रिश्ते में कडवाहट बढ़ती जाती है, जिसके चलते ही बहू को काला महीना में मायके भेज दिया जाता है। वहीं अगर किसी कारण बहू अपने मायका ना जा पाए तो वह पूरा महीना घूंघट में रहती है, ताकि वह सास का चेहरा ना देख पाए
  • एक अन्य मान्यता के अनुसार पुराने जमाने में जब काला महीना आता था तो उस महीने को तेहरवां महीना माना जाता था अधिकतर लोगों के घरों में इन दिनों अनाज की कमी रहती थी और कमाई का साधन व काम धंधा भी शून्य के बराबर होता था।
  • तो नई नवेली दुल्हन को किसी चीज की कमी का अहसास न हो तो ससुराल पक्ष अपनी गरीबी छुपाने को उसे उसके मायके भेज देते थे
  • वहीं दामाद को भी इसलिय उसकी सास से नहीं मिलने देते थे कि कहीं उनकी बेटी दामाद के सामने अपने ससुराल की बुराई ओर कमियां न निकाल सके।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख