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September 11, 2024

हिमाचल में यहां पत्थर पर नमक चढ़ाकर मांगी जाती है मन्नत, मस्से होते हैं गायब

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कांगड़ा। देवभूमि कहलाए जाने वाला हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति, परंपराओं और मान्तयाओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां कई अनोखे और रहस्मयी मंदिर व जगहें हैं- जिन पर विश्वास कर पाना आसान नहीं है। आज हम आपको हिमाचल में स्थित एक अनोखे पत्थर के बारे में बताएंगे। आपको बता दें कि यह पत्थर कांगड़ा जिले के रानीताल में स्थित हैं। इसे मौका पत्थर के नाम से जाना जाता है। मौका पत्थर से जुड़ी एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण मान्यता है, जो हिमाचल प्रदेश में श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के बीच प्रसिद्ध है। यह विशेष पत्थर पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसके साथ एक मान्यता जुड़ी हुई है जो इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : ट्रैकिंग पर गया था रोहन, सीने और बाजू में उठा तेज दर्ज और…

मौका पत्थर की मान्यता

‘मौका पत्थर’ से जुड़ी मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति इस पत्थर के नीचे से निकलता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि यदि आपकी कोई विशेष इच्छा है और आप सच्चे मन से इस पत्थर के नीचे से गुजरते हैं तो वह इच्छा निश्चित रूप से पूरी होती है। लोगों का मानना है कि यह पत्थर दिव्य शक्ति से युक्त है और इसके नीचे से गुजरने वाले श्रद्धालुओं की समस्याओं का निवारण होता है। कई लोग यहां अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक परेशानियों के समाधान के लिए आते हैं।

नमक चढ़ाकर मांगी जाती है मन्नत

यह भी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति श्रद्धा भाव से इस पत्थर पर नमक चढ़ाकर मन्नत मांगता है, तो उसके शरीर पर उभरे मस्से (एक प्रकार का चर्म रोग) गायब हो जाते हैं। यह भी पढ़ें: हिमाचल : ब्यास में तैरती मिली देह, नहीं हो पाई व्यक्ति की शिनाख्त

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

इस पत्थर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व इस बात में है कि इसे माता चामुंडा की शक्ति से जुड़ा हुआ माना जाता है। मान्यता है कि देवी चामुंडा के आशीर्वाद से यह पत्थर चमत्कारी है और इसके संपर्क में आने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। हिमाचल प्रदेश में यह पत्थर लोगों की आस्था का प्रतीक है और यहां हर साल सैकड़ों श्रद्धालु अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए आते हैं।

मौका पत्थर की खासियत

इस पत्थर की खासियत यह है कि यह एक विशेष ढलान या संकीर्ण मार्ग पर स्थित है, जहां से गुजरने के लिए लोग झुककर या बैठकर निकलते हैं। यह प्रक्रिया प्रतीकात्मक रूप से विनम्रता और समर्पण को दर्शाती है, जो देवी चामुंडा के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह भी पढ़ें: हिमाचल : सड़क किनारे खड़ा था ट्रक, अंदर चालक की थम चुकी थी सांसें पत्थर का नाम मौका पत्थर इसलिए पड़ा क्योंकि लोगों को इसे पार करने का एक "मौका" मिलता है, जिसमें वे अपनी मनोकामना देवी से पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।

स्थानीय मान्यता

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पत्थर के नीचे से सिर्फ वही लोग सफलतापूर्वक गुजर सकते हैं, जिनकी इच्छाएं या प्रार्थनाएं सच्ची और निष्कपट होती हैं। यह पत्थर सच्चे भक्तों की पहचान करता है और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करता है। इस मान्यता के कारण कांगड़ा जिले में ‘मौका पत्थर’ को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में देखा जाता है। यह भी पढ़ें: सुक्खू बोले-मस्जिद विवाद को ना दें राजनीतिक रंग, जयराम ठाकुर ने भी दी प्रतिक्रिया

श्रद्धालुओं का विश्वास

यहां आने वाले श्रद्धालुओं का विश्वास है कि पत्थर के नीचे से गुजरते ही उनके जीवन में शुभ घटनाएं घटित होती हैं। विशेष रूप से नौकरी, विवाह, संतान, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान यहाँ देवी के आशीर्वाद से होता है। इसके अतिरिक्त, लोग इसे धार्मिक यात्रा का हिस्सा मानते हैं और इस पत्थर से जुड़ी परंपरा का पालन करते हुए देवी से कृपा प्राप्त करते हैं।

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