राजगढ़ (सिरमौर)। हिमाचल के सिरमौर जिला में रक्षाबंधन से मात्र सात दिन पहले ही दो बहनों से उनका इकलौता भाई सदा के लिए बिछुड़ गया। दोनों बहनों का यह इकलौता भाई देश की सरहदों पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। महज 28 साल के लांस नायक प्रवीण शर्मा राजगढ़ के पारलू गांव के रहने वाले थे।
आज उनकी पार्थिव देह जैसे ही घर पहुंची हर तरफ चीख पुकार मच गई। उपमंडल राजगढ़ के तहत हाब्बन पंचायत में उनके पैतृक गांव पालू में सैन्य सम्मान के साथ हजारों नम आंखों के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई।
शहीद की मां और बहन ने रो-रो कर दी अंतिम विदाई
माता पिता के इकलौता बेटा जो शादी से महज दो माह पहले ही परिवार को अकेला छोड़ गया। तिरंगे में लिपटी बेटे की पार्थिव देह जैसे ही आज घर पहुंची तो मां बेटे से लिपट कर खूब रोई। वहीं बहनों के भी आंसू नहीं थमे।
इस दौरान मां ने बेटे को दूल्हे की तरह सजाया और बहनों ने भाई की कलाई पर अंतिम राखी बांध कर उसे अंतिम यात्रा पर भेजा। जिस पिता का शहीद प्रवीण बुढ़ावे का सहारा था, आज उसी पिता को बेटे की अर्थी को कांधा देना पड़ा। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग जवान को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहे।
लोगों ने एंबुलेंस पर की पुष्पवर्षा
शहीद को श्रद्धांजली देने के लिए आज बाजार बंद रखे गए। लोगों ने सड़कों पर खड़े होकर जवान की पार्थिव देह का इंतजार किया और पार्थिव देह लेकर आई एंबुलेंस पर पुष्पवर्षा की। इस दौरान लोगों ने भारत माता की जय, प्रवीण शर्मा अमर रहे के नारे भी लगाए। वहंी लोगों के पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
दो बहनें अब कभी नहीं पहना पाएंगी राखी
बड़ी बात यह है कि राजगढ़ की यह दोनों बहनें अब कभी अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएंगी। दोनों बहनों का इकलौता भाई मां भारती की रक्षा करते हुए रणभूमि में शहादत पा कर आया है। जम्मू.कश्मीर के अनंतनाग में शहीद हुए राजगढ़ के लांस नायक प्रवीण शर्मा अभी महज 28 साल के ही थे।
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जुलाई में हुई थी सगाई
शादी के लिए हमेशा से ही उनकी ना नुकर रहती थी। लेकिन इस बार परिवार ने उनकी एक ना सुनी। जुलाई महीने में छुट्टी काटने घर आए प्रवीण के लिए लड़की की तलाश परिवार ने जारी रखी। उनके लिए लड़की की खोज कर सगाई करवा ली।
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अक्तूबर माह में थी शहीद की शादी
अक्तूबर में शुभ दिन देख शादी का समारोह भी रख लिया गया था। बहनें अपने भाई की शादी की तैयारियों में जुटी हुई थी। परिवार में माता.पिता और बूढ़ी दादी बड़े चाव से अपने इकलौते चिराग के सिर सेहरा सजाने की तैयारी कर चुके थे।
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प्रवीण ने देखे थे कई सपने
वहीं, लांस नायक प्रवीण ने सेना में भर्ती होने के बाद सपना देखा था कि वह अपने परिवार के लिए एक सुंदर घर अपने पैतृक गांव में बनवाएगें, जिस सपने को उन्होनें जिया भी। उधर, घर पूरा बनने के बाद बहनें भी इस रक्षाबंधन बहनें भी तोहफे में अपनी भाभी को ही मांगने वाली थीं। मगर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। जिन आखों ने बेटे प्रवीण के लिए इतने सपने देख लिए थेए अब वे आखें आंसू बहा.बहा कर थक चुकी है और पथराई है।
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Martyr Parveen Sharma[/caption]
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जम्मू के अनंतनाग में हुए थे शहीद
जानकारी के लिए बता दें कि बीते शनिवार को जम्मू.कश्मीर के अनंतनाग में ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। वहीं आज यानि सोमवार को उनकी देह उनके पैतृक गांव पहुंची, जहां सैन्य टुकड़ी ने सलामी के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। पूरा क्षेत्र प्रवीण शर्मा के अमर रहे नारों से गुंज उठा।