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December 30, 2024

हिमाचल में लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने पर फंसा पेच, अभी और करना होगा इंतजार

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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा है। इस संबंध में बाल विवाह प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 मानसून सत्र में पारित किया गया था। हालांकि, यह विधेयक अभी भी विभागीय प्रक्रिया में उलझा हुआ है। आपको बता दें कि यह मामला संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिससे इसे राज्य और केंद्र सरकार दोनों की मंजूरी की आवश्यकता है। वर्तमान में विधेयक को राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजने से पहले कानूनी राय ली जा रही है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : रेन शेल्टर में पड़ी मिली देह, परिवार का नहीं चल पाया पता

विधानसभा में विधेयक हुआ पारित

विदित रहे कि, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल ने मानसून सत्र के दौरान यह विधेयक पेश किया था। इसे विधानसभा में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया। इसके बाद इसे संबंधित विभाग को समीक्षा के लिए भेजा गया है।

विधेयक का उद्देश्य

  • शिक्षा और अवसर
शादी की उम्र बढ़ाने से लड़कियों को शिक्षा और करियर के लिए अधिक समय मिलेगा।
  • स्वास्थ्य लाभ
जल्दी मां बनने के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकेगा।
  • सामाजिक सुधार
कम उम्र में शादी की प्रथा को समाप्त कर लड़कियों के जीवन स्तर में सुधार करना। यह भी पढ़ें : हिमाचल में स्नो बूट को लेकर पर्यटकों का दुकानदारों से विवाद, हिरासत में 4 लोग

सुक्खू सरकार की मंशा

प्रदेश सरकार का मानना है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से उनके विकास के अवसर बढ़ेंगे। हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कम उम्र में शादी की प्रथा प्रचलित है, जिससे लड़कियां शिक्षा से वंचित रह जाती हैं और जीवन में आगे नहीं बढ़ पातीं।

क्यों हो रही देरी?

संशोधित विधेयक को विधानसभा से पारित किए जाने के बाद विभागीय समीक्षा के लिए भेजा गया है। विभागीय सचिव आशीष सिंहमार ने जानकारी दी कि इसे जल्द ही राज्यपाल को भेजा जाएगा। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए राजभवन से भेजा जाएगा। यह भी पढ़ें : हिमाचल : पत्नी का हाथ पकड़ फूट-फूट कर रोया पति, एक साल पहले ही हुई थी शादी उल्लेखनीय है कि यह विधेयक हिमाचल प्रदेश में लड़कियों के अधिकारों और जीवन स्तर में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसकी सफलता प्रभावी क्रियान्वयन और सामाजिक जागरूकता पर निर्भर करेगी।

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