कुल्लू। हिमाचल प्रदेश अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध इतिहास के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के पहाड़, हरी-भरी घाटियां, शांत झीलें और पुराने मंदिर ना केवल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक धरोहर और संस्कृति की गहराई को भी उजागर करते हैं।
हिमाचल का शानदार महल
कुल्लू, मनाली, शिमला, धर्मशाला जैसे पर्यटन स्थल हिमाचल को एक विशेष स्थान बनाते हैं। वहीं, यहां के किले, महल और ऐतिहासिक धरोहरें प्रदेश के गौरवशाली अतीत की कहानियां बयां करती हैं। आज हम हिमाचल के एक ऐसे महल के बारे में बताएंगे जो कभी एक बंदूक के लिए बिक गया था।
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क्या आप गए हैं नग्गर कैसल?
हम बात कर रहे हैं कुल्लू जिले के नग्गर में स्थित नग्गर कैसल की- जो कि अपनी अद्भुत सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह इमारत कुल्लू-मनाली आने वाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय धोरहर घोषित की गई है।
नग्गर कैसल का इतिहास
नग्गर एक समय कुल्लू प्रांत के राजाओं की राजधानी हुआ करता था, जहां 1460 वर्षों तक राजाओं का शासन रहा। यह जगह न केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के ऐतिहासिक स्थलों में भी इसकी ख्याति है।
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कहा जाता है कि इस महल का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा सिद्ध सिंह ने करवाया था। महल का निर्माण राजा भोसल के महल के खंडहरों से लाई गई सामग्री से हुआ था, जो व्यास नदी के दूसरी ओर से मानव श्रृंखला बनाकर लाई गई थी।
लकड़ी और पत्थर की शैली
इस महल को पूरी तरह से लकड़ी और पत्थर से काष्ठकुणी शैली में बनाया गया है। खास बात यह है कि इसमें किसी भी लोहे या धातु की कील का प्रयोग नहीं किया गया है। नग्गर कैसल कभी राजाओं का शाही महल हुआ करता था, लेकिन बाद में इसे ग्रीष्मकालीन महल के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।
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महल का एक बंदूक के लिए सौदा
1846 में, जब अंग्रेजों ने कुल्लू और कांगड़ा पर कब्जा किया, तब राजा ज्ञान सिंह ने महल को महज एक बंदूक के बदले में अंग्रेज अधिकारी मेजर 'हे' को दे दिया। बाद में मेजर 'हे' ने इसे सरकार को बेच दिया और इस महल का उपयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होने लगा। आजादी के बाद महल को आम जनता के लिए खोल दिया गया।
भूकंप से अडिग नग्गर कैसल
महल की बनावट इतनी मजबूत है कि यह 1905 में आए विनाशकारी भूकंप के झटकों को भी सहन कर गया। उस समय आसपास के इलाकों में भारी नुकसान हुआ, लेकिन नग्गर कैसल सुरक्षित रहा।
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विशाल पेड़ से बने दरवाजे
महल के मुख्य दरवाजे मात्र कुल्हाड़ी का उपयोग करके बनाए गए थे। इन दरवाजों को एक विशाल पेड़ से तैयार किया गया था। महल की दीवारों में भी पूरे पेड़ों का इस्तेमाल किया गया है।
राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा
1978 में नग्गर कैसल को हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम को सौंपा गया, जिसके बाद इसे एक होटल के रूप में तब्दील किया गया। यह स्थान प्री-वेडिंग शूट्स और फिल्मों की शूटिंग के लिए भी लोकप्रिय है। 9 अगस्त 2012 को इसे पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया था।