शिमला। पूरा देश जहां 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिनस मना चुका है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में एक शहर ऐसा है- जहां आज आजादी दिवस मनाया जा रहा है। यह शहर शिमला से लगभग 33 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पर 1947 से 16 अगस्त को आजादी दिवस मनाने की परंपरा चली आ रही है।
कहां मनाई जाती है 16 अगस्त?
शिमला के ठियोग में आजादी दिवस को जलसा फेस्टिवल के तौर पर मनाया जाता है। 16 अगस्त को आजादी दिवस मनाने का इतिहास रोचक और गौरवमयी है।
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उठते हैं कई सारे सवाल?
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क्यों 16 अगस्त को मनाया जाता है आजादी दिवस?
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क्या है जलसा फेस्टिवल का इतिहास?
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कैसे मनाया जाता है जलसा फेस्टिवल?
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कहां मनाया जाता है जलसा फेस्टिवल?
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कब शुरु हुआ था जलसा फेस्टिवल?
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क्या हुआ था 16 अगस्त को?
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क्या है जलसा पर्व की परंपरा?
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कैसे शुरु हुआ था जलसा फेस्टिवल?
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किसने दिया जिला स्तरीय का दर्जा?
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क्या छुट्टी होती है इस दिन?
क्या है इतिहास?
- राजाओं की सत्ता से मुक्ति
- देश के पहले प्रजामंडल का गठन
- बनी पहली डेमोक्रेटिक सरकार
साल 1946 में जब भारत 360 रियासतों के राजाओं, नवाब, राणाओं और निजामों के शासन से मुक्ति के लिए लड़ रहा था। उसकी समय ठियोग रियासत के लोगों ने भी राजाओं की सत्ता से मुक्ति पाई थी। इसी साल ठियोग में देश के पहले प्रजामंडल का गठन किया गया।
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साल 1947, 16 अगस्त के दिन ठियोग की जनता ठियोग के राजा कर्मचंद के महल के बाहर एकत्रित हुई। जनता के दबाव के कारण राजा को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी। इसी के चलते इसी दिन ठियोग में पहली डेमोक्रेटिक सरकार बनी। सूरत राम प्रकाश इस प्रजामंडल के प्रधानमंत्री बने। यही कारण है कि ठियोग में आजादी दिवस 16 अगस्त को मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है जलसा फेस्टिवल?
- बलिदान देने वाले महान सपूतों को याद किया जाता है।
- सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम और विभिन्न खेलकूद का आयोजन किया जाता है।
- यह आयोजन 15 और 16 अगस्त दो दिन चलता है।
कहां मनाया जाता है जलसा फेस्टिवल?
जलसा फेस्टिवल ऐतिहासिक पोटेटो ग्राउंड में मनाया जाता है। ठियोग क्षेत्र के ज्यादातर स्कूली बच्चें इसमें प्रस्तुतियां देते हैं।
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पोटेटो ग्राउंड में क्यों मनाया जाता है?
ठियोग के पोटेटो ग्राउंड में 16 अगस्त को पहली जनतांत्रिक सरकार बनी। इस दिन गृह मंत्री बुद्धिराम वर्मा, शिक्षा मंत्री सीताराम वर्मा समेत अन्य आठ मंत्रियों ने मंत्री पद की शपथ ली। यह सरकार छह महीने तक चली। यही कारण है कि आज भी ठियोग में पोटेटे ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
क्यों नाम पड़ा पोटेटो ग्राउंड?
पोटेटो ग्राउंड नाम हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित एक ऐतिहासिक मैदान का है। इस नाम के पीछे का कारण यह है कि इस स्थान पर ब्रिटिश काल के दौरान आलू की खेती होती थी। शिमला ब्रिटिश शासन के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी थी और यहां के ठंडे मौसम और उपजाऊ भूमि को देखते हुए आलू की खेती के लिए यह जगह उपयुक्त मानी गई थी।
ब्रिटिश अधिकारियों ने शिमला के इस क्षेत्र में आलू की खेती शुरू की थी और यही कारण है कि इसे "पोटेटो ग्राउंड" कहा जाने लगा। यह नाम उस समय की खेती के आधार पर पड़ा और धीरे-धीरे लोकप्रिय हो गया।
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किसने दिया जिला स्तरीय का दर्जा?
आपको बता दें कि पूर्व वीरभद्र सरकार ने ठियोग के इस जलसा पर्व को जिला स्तरीय का दर्जा दिया था। जलसा पर्व के लिए ठियोग में हर साल 16 अगस्त को लोकल छुट्टी रहती है।
क्या है जलसा पर्व की परंपरा?
जलसा पर्व के लिए पूरे क्षेत्र के लोग हर साल नए कपड़ों की खरीददारी करते हैं। नए कपड़े पहनकर मेले में जाते हैं। मेला स्थल में 15 अगस्त से 20 अगस्त तक लोग की भीड़ उमड़ती है।