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January 17, 2025

पिता-पुत्र की दिलचस्प जोड़ी, HRTC में एक साथ दे रहे सेवाएं

बेटे की सिटी पर चलती है पिता की बस

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Kullu News

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें लाइफलाइन मानी जाती हैं। हिमाचल के दुर्गम क्षेत्रों, घुमावदार सड़कों और ऊंचे पहाड़ों के बीच परिवहन की सुविधा प्रदान करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस चुनौती को HRTC के चालक व परिचालक बखूबी निभा रहे हैं।

पिता-पुत्र की बेमिसाल जोड़ी

प्रदेशभर से कई लोग HRTC से जुड़े हुए हैं। ऐसे में कुछ चालक-परिचालक की जोड़ी लोगों को बेहद पसंद आती है। ऐसी ही एक पिता-पुत्र की जोड़ी HRTC के कुल्लू डिपो में अपनी सेवाएं दे रही है।

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बेटे की सिटी पर चलती है पिता की बस

HRTC में पिता चालक और बेटा परिचालक के पद पर कार्यरत हैं। दोनों की जोड़ी सबको खूब पसंद है। खास बात यह है कि दोनों पिता-पुत्र एक साथ एक ही बस में भी काम कर चुके हैं। बेटे की सीटी पर पिता की बस चलती है।

एक की डिपो में दोनों

आपको बता दें कि ये दोनों पिता-पुत्र मंडी जिले के हटौण गांव के रहने वाले हैं। पिता देवचंद 2004 से निगम में कार्यरत है और उसका बेटा विक्रांत ठाकुर 2016 से HRTC में परिचालक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा है। विक्रांत साल 2020 तक अनुबंध आधार पर निगम में रहा और फिर साल 2021 में नियमित हुआ।

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देवचंद ना सिर्फ लोकल रूट पर बस बल्कि दिल्ली, चंडीगढ़ और लेह तक के लिए भी बस चलाई है। इन दिनों देवचंद कुल्लू बस स्टेंड पर अड्डा इंचार्ज के साथ काम कर रहा है। जबकि, देवचंद का बेटा विक्रांत भी कुल्लू डिपो में परिचालक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है।

ग्रेजुएट है परिचालक विक्रांत ठाकुर

विक्रांत ने ग्रेजुएशन की हुई है। इसके बाद विक्रांत जब पॉलिटिकल साइंस में MA की पढ़ाई कर रहा था- तो दूसरे सेमेस्टर के दौरान विक्रांत ने HRTC में भर्ती होने के लिए परीक्षा दी। ऐसे में विक्रांत का सेलेक्शन बतौर बस परिचालक के लिए हो गया।

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विक्रांत ने बताया कि शुरुआत में करीब एक-दो साल तक उसे अपने पिता के साथ ही रूट पर काम करने का मौका मिला। ऐसे में उसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। उसने कहा कि उसे गर्व है कि उसने अपने पिता का साथ काम किया है।

जिम्मेदरी भरी है नौकरी

विक्रांत ने कहा कि HRTC की नौकरी एक जिम्मेदारी भरी नौकरी है। चालक-परिचालक अपने घर से दूर रहे कर हर एक सवारी को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाते हैं। उसने बताया कि वो और उसके पिता सभी सवारियों को अपने परिवार के सदस्यों की तरह मानते हैं और उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाते हैं। ऐसा करना उन्हें सुकून और खुशी देता है।

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