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August 15, 2024

वीरभूमि कहलाए जाने वाले हिमाचल को नहीं मिला एक भी गैलेंट्री अवार्ड

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शिमला। हिमाचल प्रदेश को देश व दुनिया भर में देवभूमि से साथ-साथ वीरभूमि के नाम से भी जाना जाता है। देश को आजाद करवाने के लेकर आजतक सैकड़ों हिमाचली देश के लिए अपनी शहादत देते रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा संभाले हिमाचल पुलिस के जवान भी अपनी भागीदारी बखूबी निभाते हैं। जिनकी वीरता व अदम्य साहस के लिए भारत सरकार उन्हें गैलेंट्री अवार्ड से नवाजती है।

सूची में नहीं एक भी हिमाचली का नाम

मगर इस सब के बीच साल 2024 में मनाए जाने वाले आजादी के 78वें पर्व पर दुखद खबर यह है कि, इस वर्ष भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त को दिए जाने वाले गैलेंट्री अवार्ड की लिस्ट में इस वीरभूमि यानी हिमाचल प्रदेश का नाम तक नहीं है। हालांकि इस फेहरिस्त में पड़ोसी राज्य हरियाणा और चंडीगढ़ भी शामिल हैं। इन तीनों राज्यों से इस वर्ष किसी भी पुलिस अधिकारी को गैलेंट्री अवार्ड के लिए नहीं चुना गया है।

कुल 6 प्रकार के होते हैं गैलेंट्री अवार्ड

गैलेंट्री अवार्ड गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर साल में दो बार घोषित, 6 प्रकार के वीरता पुरस्कार हैं। गैलेंट्री अवार्ड मुख्य रूप से उन लोगों को दिए जाते हैं, जो असाधारण बहादुरी और खतरे के सामने साहस दिखाते हैं। गैलेंट्री अवार्ड शास्त्रीय रूप से सैन्य कर्मियों, कानून प्रवर्तन अधिकारियों और नागरिकों को दिए जाते हैं। यह भी पढ़ें: कौन हैं ASI रंजना शर्मा? क्यों मिल रहा विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक! जिन लोगों द्वारा अपने कर्तव्यों या दूसरों की रक्षा में असाधारण वीरता और निस्वार्थता स्थापित की हो यह सम्मान उन्हें प्रदान किया जाता है।

परमवीर चक्र

भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य पुरस्कार है परमवीर चक्र। यह पुरस्कार दुश्मन के सामने अभूतपूर्व साहस दिखाने और बलिदान के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि सूबेदार मेजर वीर बन्ना सिंह एकमात्र ऐसे साहसी जवान थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे, जिन्हें परमवीर चक्र मिला था।

महावीर चक्र

यह पुरस्कार युद्ध के समय वीरता दिखाने वाले शूरवीर जवानों को दिया जाता है। कई बार यह पुरस्कार भी मरणोपरांत दिया जाता है। कोई भी सैनिक या असैनिक यदि असाधारण वीरता, शौर्य का प्रदर्शन करता पाया जाता है तो वह महावीर चक्र पुरस्कार का हकदार होता है।

वीर चक्र

वरीयता क्रमानुसार यह पुरस्कार तीसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। इस पुरस्कार की शुरुआत साल 1950 में परमवीर चक्र और महावीर चक्र के साथ ही हुई थी। सैनिकों की असाधारण वीरता के लिए यह पुरस्कार दिया जता है। कई बार यह मरणोपरांत भी दिया जाता है।

कीर्ति चक्र

साल 1952 में कीर्ति चक्र सम्मान की स्थापना हुई थी। यह पुरस्कार सेना, वायु सेना व नौसेना के जवानों और अधिकारियों के अलावा पुरस्कार टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी दिया जाता है। आंकड़ों के अनुसार अब तक यह पुरस्कार 198 शूरवीरों को मरणोपरांत दिया गया है।

शौर्य चक्र

वरीयता के आधार पर यह पुरस्कार कीर्ति चक्र के बाद का वीरता पदक है। देश के सर्वोच्‍च वीरता पदकों में शांति के समय शौर्य चक्र का नाम आता है। शांति काल के दौरान सैनिक या असैनिक द्वारा शौर्य प्रदर्शन के लिए या बलिदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। जो कि मरणोपरांत भी दिया जा सकता है

अशोक चक्र

शांति के समय दिए जाने वाले पुरस्कारों में अशोक चक्र का नाम आता है। शूरता या बलिदान के लिए दिए जाने वाले इस पुरस्कार को कई बार मरणोपरांत भी दिया जाता है।

अबतक मिले गैलेंट्री अवार्ड:

यूं तो बात अगर आंकड़ों की करें तो हिमाचल के जांबाज सुपूत अब तक इस वीरभूमि की झोली को कुल 1165 गैलेंट्री अवॉर्ड्स से भर चुके हैं। इनमें 2 अशोक चक्र, 4 परमवीर चक्र, 10 महावीर चक्र, 19 कीर्ति चक्र, 51 वीरचक्र, 90 शौर्य चक्र और 989 अन्य सेना मैडल शामिल हैं। हिमाचल में गैलेंट्री अवार्ड शौर्य गाथा की नींव मेजर सोमनाथ शर्मा ने रखी थी। जिनके बाद मेजर धनसिंह थापा, कैप्टन विक्रम बत्रा और सूबेदार संजय कुमार जैसे सैकड़ों सूरमाओं ने बहादुरी की शानदार इमारत खड़ी की।

हिमाचल के वीर सुपूत

देश को आजाद करवाने से लेकर साल 1962 में चीन के साथ युद्ध, साल 1971 व 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में सैकड़ों हिमाचली वीर सुपूतों ने अपनी शहादत दी। हिमाचल प्रदेश की आबादी की बात की जाए तो मौजूदा समय में यह तकरीबन 75 लाख के आसपास है। मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश के तीन लाख से अधिक जांबाज सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व सैनिक हैं और 18 हजार के आसपास पुलिस जवान हैं।

गैलेंट्री अवार्ड के लिए चयन प्रक्रिया

गैलेंट्री अवार्ड के लिए चयन की प्रक्रिया भी साधारण नहीं है। इसके लिए सबसे पहले जांबाजों के नाम रक्षा मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं। जहां रक्षा मंत्रालय की एक विशेषज्ञ समिति होती है, जिसे केंद्रीय सम्‍मान एवं पुरस्‍कार समिति कहा जाता है। यह भी पढ़ें: “हिमाचल पुलिस ने कुछ नहीं किया, अपनी बेटी को हमने खोजा- CBI जांच हो” तय मानकों की पूरी प्रक्रिया के आधार पर यह समिति एक सूची तैयार करती है, जिसमें वीरता पुरस्कार के लिए नाम तय होते हैं। यह सूची अंतिम अनुमति के लिए राष्‍ट्रपति के पास भेजी जाती है। जहां राष्‍ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इन पुरस्‍कारों की घोषणा की जाती है।

आजादी के बाद मिलना शुरू हुए गैलेंट्री अवार्ड

आधिकारिक रूप से जब 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था तब भारत सरकार ने प्रथम तीन गैलेंट्री अवार्ड परमवीर चक्र, महावीर चक्र व वीर चक्र की घोषणा की थी। हालांकि साल 1947 में देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिलते ही भारत सरकार हर साल जवानों और अधिकारियों को गैलेंट्री अवार्ड देती आ रही है। इसके बाद साल 1952 में तीन अन्‍य गैलेंट्री अवार्ड देने की शुरुआत की गई।

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