शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) में किसी भी प्रकार की नई भर्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने स्पष्ट किया कि निगम को न्यायालय की अनुमति के बिना किसी भी पद पर न तो प्रत्यक्ष नियुक्ति करनी है, न अप्रत्यक्ष। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पदों पर भर्ती अनुबंध के आधार पर या आउटसोर्स के माध्यम से भी नहीं होगी।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों की देनदारी
बता दें कि कोर्ट ने यह आदेश सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान में देरी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए दिए है। पर्यटन निगम ने कोर्ट को बताया है कि इस भुगतान में देरी का मुख्य कारण निगम की दयनीय वित्तीय स्थिति है।
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होटलों पर जड़ दिए जाएंगे ताले
वहीं, कोर्ट ने कुप्रबंधन को निगम की वित्तीय समस्याओं का जिम्मेदार ठहराया और चेतावनी दी कि अगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो एचपीटीडीसी की संपत्तियों पर ताला लगाने के आदेश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
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पर्यटन विभाग की जिम्मेदारी
कोर्ट ने पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव को मामले में प्रतिवादी बनाया और उनसे हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए। इसका उद्देश्य एचपीटीडीसी की संपत्तियों को लाभकारी इकाइयों में परिवर्तित करने के उपायों पर चर्चा करना था। प्रबंध निदेशक द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के अवलोकन के बाद, कोर्ट ने निगम की आर्थिक स्थिति को चिंताजनक बताया।
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वित्तीय देनदारी का आंकड़ा
एचपीटीडीसी के अनुसार, 31 अगस्त 2024 तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देय राशि 35.13 करोड़ रुपये थी। कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि हिमाचल प्रदेश एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, फिर भी एचपीटीडीसी की संपत्तियां पर्यटकों को आकर्षित करने में असफल हो रही हैं।
पर्यटन व्यवसाय की चुनौती
कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में पर्यटकों की कमी नहीं है, लेकिन एचपीटीडीसी की संपत्तियों के प्रमुख पर्यटन स्थानों पर होने के बावजूद, लोग निजी होटलों में ठहरने और गैर-एचपीटीडीसी रेस्तराओं में भोजन करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह स्थिति निगम के लिए एक गंभीर चुनौती है।