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January 24, 2025

हिमाचल में मौसम की बेरुखी जारी- इस बार बर्बाद हो सकती है सेब की फसल

हिमाचल में मौसम की बेरुखी के बीच खराब हो सकती है सेब की फसल

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मौसम के अनुकूल और अप्रत्याशित बदलाव ने सेब बागबानों की चिंता बढ़ा दी है। मार्च में शुरू होने वाली सेब के पौधों में कोंपलें फूटने की प्रक्रिया इस बार समय से पहले शुरू हो गई है, क्योंकि तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर सेब की फसल पर पड़ सकता है।

तापमान में वृद्धि से कोंपलें समय से पहले फूटीं

शिमला के ठियोग, कोटखाई और मंडी जिले के कुछ निचले क्षेत्रों में भी सेब के पौधों पर कोंपलें फूटने लगी हैं। मौसम विभाग द्वारा पहले यह अनुमान जताया गया था कि इस वर्ष सर्दी का मौसम लंबा रहेगा, लेकिन अचानक तापमान में बढ़ोतरी के कारण चिलिंग आवर्स का प्रभाव कमजोर हो गया। इससे सेब के पौधों में समय से पहले कोंपलें फूटने लगी हैं, खासकर निचले इलाकों में यह समस्या ज्यादा नजर आ रही है। 

 

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चिलिंग आवर्स नहीं हुए पूरे

बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार, चिलिंग आवर्स का टूटना सेब के पौधों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बता दें कि चिलिंग आवर्स वह समय होता है जब पौधों को ठंड में सुप्तावस्था में रहने की आवश्यकता होती है। तापमान में तेजी से वृद्धि के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो रही है, जिससे पौधों में जल का संचार बढ़ जाता है और कोंपलें समय से पहले फूटने लगती हैं। इससे पौधे तनाव में आते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। 

 

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तापमान में गिरावट से राहत की उम्मीद

हालांकि मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट हो सकती है, जो सेब के पौधों को सुप्तावस्था में जाने में मदद करेगा और चिलिंग आवर्स को पूरा होने का मौका मिलेगा। 

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सेब के पौधों के लिए जरूरी है चिलिंग आवर्स

बताते चलें कि सेब के पौधों के लिए 300 से 800 चिलिंग आवर्स की आवश्यकता होती है, और इसके लिए तापमान का शून्य से सात डिग्री के बीच होना जरूरी होता है। हालिया मौसम में जब वर्षा और हिमपात हुआ था, तब तापमान इस श्रेणी में था।  लेकिन अब कुछ दिन से मौसम साफ रहने से तापमान में वृद्धि हुई है, जिससे चिलिंग आवर्स का क्रम टूट रहा है।

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