शिमला। साल 2024 में हिमाचल प्रदेश में एक भीषण तबाही आई थी। जिसके कारण प्रदेश के कई जिलों में लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा था। साथ ही कई घर तबाह हो गए थे। साल के आखिरी दिन आज 31 जुलाई की रात को हुई भीषण तबाही की बात करें करते हैं।
31 जुलाई 2024 को आई थी तबाही
31 जुलाई की रात हिमाचल प्रदेश में एक भीषण प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया, जब श्रीखंड क्षेत्र में बादल फटने से बाढ़ का मंजर उत्पन्न हुआ। इस घटना के कारण पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मच गई और बाढ़ का पानी तीन अलग-अलग स्थानों पर फैल गया, जिससे कई गांवों में जान-माल का नुकसान हुआ। इस दिन की रात को हुए इस हादसे ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया।
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रामपुर से समेज गांव में तबाही
श्रीखंड में बादल फटने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान रामपुर जिले के समेज गांव में हुआ। यहां अचानक आई बाढ़ ने गांव के अधिकांश हिस्से को बहा लिया। पानी के तेज बहाव में 36 लोग बह गए, जिनमें से 23 लोग आज तक लापता हैं। इनकी तलाश के लिए 21 दिन तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन केवल 13 शव ही बरामद हो सके, जो पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो चुके थे। यह घटना न केवल गांव वालों के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक गहरी शोक की घड़ी बन गई।
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मंडी जिले में भीषण तबाही
इसी रात मंडी जिले के रामबन गांव में भी बाढ़ का तांडव हुआ। यहां दो परिवारों के 10 लोग अपने घरों में सो रहे थे, तभी अचानक बाढ़ आई और उनके घर टूटकर मलबे में तब्दील हो गए। यह लोग बाढ़ के मलबे में दब गए और उनकी मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे गांव को चौंका दिया और लोग अब भी इस त्रासदी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं।
कुल्लू जिले में बाढ़ का कहर
कुल्लू जिले के बागीपुल में भी बाढ़ का कहर टूट पड़ा। यहां एक ही परिवार के पांच लोग बाढ़ में बह गए। यह घटना इस परिवार के लिए एक गहरी शोक की वजह बनी, क्योंकि इनका पूरा परिवार ही बाढ़ के पानी में बह गया था। इसके अलावा, श्रीखंड यात्रा पर जा रहे दो श्रद्धालु भी इस आपदा का शिकार हो गए। वे बाढ़ की चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो बैठे।
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कुल मिलाकर 53 लोगों की मौत
31 जुलाई की रात को हुई इस भीषण आपदा ने कुल 53 लोगों की जान ले ली। इनमें से कुछ लोग बाढ़ के पानी में बह गए, जबकि कुछ लोग घरों के मलबे में दबकर मारे गए। यह घटना न केवल उन लोगों के परिवारों के लिए एक अपूरणीय क्षति थी, बल्कि राज्य और देशभर में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ा दिया।
भयंकर बाढ़ त्रासदी
यह घटना हिमाचल प्रदेश में एक भयंकर बाढ़ त्रासदी के रूप में दर्ज की गई, जिससे न केवल मानव जीवन, बल्कि संपत्ति और पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने आपदा के बाद राहत कार्य शुरू किया, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर हुए नुकसान को पूरी तरह से ठीक करना आसान नहीं था।