शिमला। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट से उभरने के लिए सुक्खू सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए फ्री बिजली और पानी की सुविधा को समाप्त कर दिया है। इस निर्णय के बाद अब प्रदेश के उपभोक्ताओं को बिजली की अधिक खपत और पानी के बिलों का भुगतान करना होगा।
आपको बता दें कि इस महीने से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग प्रति कनेक्शन 100 रुपए चुकाने के लिए बाध्य होंगे। यह कदम सरकार की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए उठाया गया है। इसके परिणामस्वरूप आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है।
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पूर्व की सरकार द्वारा दी गई थी सुविधाएं
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को फ्री पानी की सुविधा दी थी, जिसका उद्देश्य आम जनता को राहत प्रदान करना था। इस योजना के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को पानी की आपूर्ति बिना किसी शुल्क के की जाती थी।
हालांकि, सुक्खू सरकार ने इस सुविधा को वापस लेने का निर्णय लिया है, जिससे जनता में असंतोष का माहौल बना हुआ है। सुक्खू सरकार ने इस निर्णय के पीछे आर्थिक दबाव और सरकारी खजाने की स्थिति का हवाला दिया है।
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नई पानी की दरें
सरकार ने अब पानी का नया टैरिफ निर्धारित कर दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को पानी के लिए अधिक भुगतान करना होगा। नई दरों के अनुसार:
- 0 से 20 किलोलीटर पानी खर्च करने पर 19.30 रुपए
- 20 से 30 किलोलीटर पर 33.28 रुपए
- 30 किलोलीटर से अधिक पर 59.90 रुपए प्रति किलोलीटर का शुल्क लिया जाएगा
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इसके अलावा, पानी के कनेक्शन पर न्यूनतम मेंटेनेंस चार्ज 110 रुपए प्रति माह लगेगा। यदि मीटर खराब होता है, तो उपभोक्ता को तीन महीने का एवरेज बिल 444.07 रुपए प्रति माह की दर से चुकाना होगा। यह सभी दरें ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू उपभोक्ताओं पर लागू होंगी।
होटलों और व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं के लिए नई दरें
हिमाचल प्रदेश में बड़े होटलों के लिए भी नई दरें लागू की गई हैं। अब होटलों को पानी के लिए निम्नलिखित दरें चुकानी होंगी:
- 0 से 30 किलोलीटर पर 106.30 रुपए
- 30 से 75 किलोलीटर पर 141.76 रुपए
- 75 किलोलीटर से अधिक पर 194.85 रुपए की दर से बिल वसूला जाएगा
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इसके साथ ही, होटलों के लिए न्यूनतम मेंटेनेंस चार्ज 220 रुपए प्रति माह तय किया गया है। खराब मीटर पर 7779.70 रुपए के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।
नॉन डोमेस्टिक और नॉन कमर्शियल दरें
नॉन डोमेस्टिक और नॉन कमर्शियल कनेक्शन के लिए दरें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 153.07 रुपए प्रति किलोलीटर तय की गई हैं। खराब मीटर के मामले में, 7072.45 रुपए की दर से हर महीने वसूली होगी। सीवरेज कनेक्शन के लिए भी नई दरें निर्धारित की गई हैं, जिसमें डोमेस्टिक के लिए चार्ज 500 रुपए और कॉमर्शियल के लिए 1,000 रुपए रखा गया है।
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सीवरेज और जल शक्ति विभाग के नए चार्ज
जल शक्ति विभाग ने कमर्शियल उपभोक्ताओं और संस्थाओं के लिए भी नई दरें तय की हैं। सरकारी संस्थानों, अस्पतालों, स्कूलों, धर्मशालाओं, धार्मिक स्थलों, ढाबों, दुकानों, वॉशिंग सेंटरों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए दरें निम्नलिखित होंगी:
- 0 से 20 किलोलीटर पानी के लिए 19.30 रुपए प्रति किलोलीटर
- 20 से 30 किलोलीटर पर 33.28 रुपए
- 30 से 50 किलोलीटर पर 59.90 रुपए
- 50 से 100 किलोलीटर पर 106.30 रुपए
- 100 किलोलीटर से अधिक पर 150 रुपए प्रति किलोलीटर
इनसे मिनिमम मेंटेनेंस चार्ज 110 रुपए फिक्स किए गए हैं और खराब मीटर के मामले में 444.07 रुपए की दर से वसूली होगी।
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नगर निगम के लिए निर्धारित दरें
नगर निगम सोलन और पालमपुर के लिए भी वाटर सप्लाई की दर 100 रुपए प्रति किलोलीटर निर्धारित की गई है। सिंचाई योजनाओं पर 75 रुपए के हिसाब से रेट लिया जाएगा। इसके साथ ही, सरकार ने शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के लिए कुछ इंसेंटिव भी तय किए हैं। यदि इन संस्थाओं का वाटर चार्जिज की बेहतरीन कलेक्शन 75 फीसदी से 100 फीसदी तक रहती है, तो उन्हें कुल कलेक्शन का 15 फीसदी पैसा दिया जाएगा।
फ्री पानी की सुविधा जारी रखने वाले परिवार
सरकार ने कुछ श्रेणियों के लिए फ्री पानी की सुविधा जारी रखी है। इसमें विधवा, तलाकशुदा महिलाएं और दिव्यांगजन शामिल हैं। साथ ही, जिन परिवारों की वार्षिक आय 50,000 रुपए तक है, उनसे मौजूदा पानी की दरों का 50 फीसदी वसूला जाएगा।
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राशन में कटौती का प्रभाव
अक्टूबर महीने के लिए केंद्र सरकार ने एपीएल परिवारों को सस्ते राशन में कटौती की है। इस महीने के लिए आवंटित किए गए राशन में 410 मीट्रिक टन का कट लगाया गया है। केंद्र से कुल 20,542 मीट्रिक टन राशन का आवंटन हुआ है, जिसमें 14,179 मीट्रिक टन गेहूं और 6,363 मीट्रिक टन चावल शामिल हैं।
इस कटौती के परिणामस्वरूप एपीएल परिवारों को मिलने वाले सस्ते राशन के कोटे में कमी आ सकती है। सितंबर महीने के लिए केंद्र से 20,952 मीट्रिक टन राशन आवंटित हुआ था, जिसमें 14,490 मीट्रिक टन गेहूं और 6,462 मीट्रिक टन चावल शामिल थे।
आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
हिमाचल प्रदेश एक उपभोक्ता राज्य है, जहां कृषि का उत्पादन अधिक नहीं होता है। इस कारण यहां के अधिकांश परिवार डिपुओं से मिलने वाले सस्ते राशन पर निर्भर हैं। राशन की मात्रा घटने से आने वाले समय में मध्यम वर्ग के परिवारों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, खासकर महंगाई के इस मुश्किल दौर में।
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वहीं, विपक्ष द्वारा लगातार सरकार को इन फैसलों पर घेरा जा रहा है। लेकिन कुल जमा ये है कि इस महीने से मंहगाई आपके घर पर दस्तक देने जा रही है।