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October 5, 2024

हिमाचल में रेत, बजरी हो सकती है महंगी- खनन पर लगेंगे 3 तरह के शुल्क

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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने खनन गतिविधियों पर 3 नए प्रकार के शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। अब खनन पट्टों पर मिल्क सेस, इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) शुल्क और ऑनलाइन चार्ज का प्रावधान किया जाएगा। यह संशोधन हिमाचल प्रदेश गौण खनिज रियायत और खनिज अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण नियमों में किया गया है, जो शुक्रवार से प्रभावी हो गया है। नई शुल्क संरचना के अनुसार, खनन पट्टों पर प्रति टन 5 रुपये का ऑनलाइन शुल्क, 5 रुपये का EV शुल्क और 2 रुपये का मिल्क सेस देना होगा। इसके अलावा, रॉयल्टी का 75% प्रोसेसिंग शुल्क भी देय होगा। सरकारी भूमि का सर्फेस रेंट 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तय किया गया है।

सरकार वसूलेगी फीस

राज्य सरकार ने खनन पट्टे के नवीकरण के लिए आवेदन फीस 25,000 रुपये निर्धारित की है। नदी तल में 10 हेक्टेयर तक मशीनों से खनन की फीस दो साल के लिए 50 लाख रुपये और धरोहर राशि 25 लाख रुपये रखी गई है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : ग्राहकों के करोड़ों डकार गया बैंक कर्मी, स्टॉक मार्केट की लगी थी लत पहाड़ी ढलान पर खनन के लिए 5 हेक्टेयर तक 5 लाख रुपये की आवेदन फीस और 2 लाख रुपये की धरोहर राशि तय की गई है। इस संशोधन से खनन गतिविधियों में वैज्ञानिक तकनीक को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने की व्यवस्था भी की गई है।

सरकारी भूमि का सर्फेस रेंट

पहाड़ी ढलान पर खनन की आवेदन फीस 5 हेक्टेयर तक 5 लाख रुपये और धरोहर राशि 2 लाख रुपये रखी गई है। यह फीस 5 साल के लिए लागू होगी।बता दें कि 80 हॉर्स पावर के बैकहो मशीन के साथ 2 वर्ष तक 5 हेक्टेयर तक खनन के लिए आवेदन फीस 12 लाख, धरोहर राशि 2.50 लाख रुपये, खनन पट्टे के हस्तांतरण के लिए 5 हेक्टेयर तक 2.50 लाख और नीलामी के मामले में 5 हेक्टेयर तक 5 लाख रुपये तय की गई है। यह भी पढ़ें : 10 माह के बच्चे के सिर से उठा मां-बाप का साया, दादी के पास छोड़ शादी में गया था दंपत्ति अनुबंध के हस्तांतरण का शुल्क 5 हेक्टेयर तक 1 लाख रुपये तय किया गया है। वहीं, खनन प्लान में बदलाव की फीस 25,000, अपील करने की फीस 5,000, स्टोन क्रशर के संयुक्त निरीक्षण की फीस 20,000 रुपये, स्टोन क्रशर के स्थायी पंजीकरण की फीस 25,000 रुपये, डीलर के तौर पर पंजीकरण की फीस 2.50 लाख रुपये और डीलर पंजीकरण की धरोहर राशि 2.50 लाख रुपये तय की गई है। यह भी पढ़ें : हिमाचल पर फिर मेहरबान हुई केंद्र सरकार, अब इन कार्यों के लिए दी करोड़ों की सौगात

जनता को महंगाई का डोज

इन नए नियमों से रेत और बजरी की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे निर्माण सामग्री महंगी होने की आशंका है। इससे आम लोगों पर वित्तीय बोझ पड़ सकता है। वहीं, सरकार द्वारा इन शुल्कों से होने वाली आय का उपयोग दूध खरीद की गारंटी और प्रदेश में ई-वाहनों को बढ़ावा देने में किया जाएगा। इस नई नीति के जरिए राज्य सरकार ने अवैध खनन पर रोक लगाने और राजस्व में वृद्धि का लक्ष्य रखा है।

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