शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ठियोग में हुए पेयजल सप्लाई घोटाले के मामले में शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है। जल शक्ति विभाग के 10 अधिकारियो समेत एक्सईएन (Executive Engineer) और SDO (Sub-Divisional Officer) को निलंबित कर दिया गया। वहीं, इस मामले में जांच के भी आदेश दिए गए है।
ठेकेदारों को किया ब्लैकलिस्ट
साथ ही, पानी की सप्लाई के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने के आदेश दिए गए हैं। इस कार्रवाई के पीछे जल शक्ति विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डॉ. ओंकार चंद शर्मा की अगुवाई में सुप्रिंटेंडिंग इंजीनियर (SE) द्वारा की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का हाथ था। इसके अलावा, विजिलेंस विभाग को मामले की गहन जांच के लिए एक पत्र भेजा गया है।
घोटाले में ठेकेदारों और अधिकारियों पर गंभीर आरोप
बता दें कि पूर्व माकपा विधायक राकेश सिंघा ने इस मामले को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि ठियोग में एक करोड़ 13 लाख रुपये का पानी लोगों को टैंकर से सप्लाई करने का दावा पूरी तरह से गलत था। सिंघा ने आरोप लगाया कि इस पानी को बाइक, ऑल्टो कार, के-10, होंडा सिटी कार और यहां तक कि शिमला के हार्टिकल्चर डायरेक्टर की बोलेरो में ढोया गया।
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उनके मुताबिक, एक मोटरसाइकिल पर 11 चक्कर लगाने के बाद 22 हजार लीटर पानी ढोया गया, जिसके बदले 23 हजार रुपये का भुगतान किया गया। इसके अलावा, शिमला से 33 किलोमीटर दूर स्थित ठियोग में हार्टिकल्चर डायरेक्टर की बोलेरो जीप से 15 हजार लीटर पानी सप्लाई किया गया था और इसके बदले ठेकेदार को 94 हजार रुपये का भुगतान किया गया था।
गबन और अनियमितताओं के आरोप
पूर्व में रहे विधायक राकेश सिंघा ने RTI (Right to Information) के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि जब ठेकेदार को पेमेंट की गई, तो उसमें बड़ा गबन साफ नजर आ रहा था। उन्होंने कहा कि ठियोग क्षेत्र में हर साल पानी की सप्लाई के लिए लगभग 10 से 12 लाख रुपये खर्च होते थे, लेकिन इस साल अचानक यह आंकड़ा एक करोड़ के पार पहुँच गया।
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वहीं, सिंघा ने आरोप लगाया कि कई ऐसे वाहन नंबर भी दिए गए जो असल में अस्तित्व में ही नहीं थे और कुछ स्थानों पर जहां सड़कों तक की सुविधा नहीं थी वहां भी वाहनों से पानी की सप्लाई दिखाई गई। इसके अलावा, ठेकेदार को एक महीने के भीतर ही भुगतान कर दिया गया, जबकि इस मामले की जांच तक नहीं की गई थी।
जांच की उठाई थी मांग
राकेश सिंघा ने राज्य के मुख्य सचिव से इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले की सही जांच नहीं की गई तो वह सचिवालय का घेराव करने पर मजबूर होंगे। सिंघा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने बिना किसी जांच के ठेकेदारों के बिल का भुगतान किया, जिससे यह साबित होता है कि घोटाले में गहरी अनियमितताएँ हैं।
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विधायक कुलदीप राठौर ने भी घोटाले पर उठाए सवाल
ठियोग के कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने भी इस घोटाले के आरोपों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और विकास कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और वह स्वयं इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। राठौर ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए एक्सईएन और डीसी (Deputy Commissioner) को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
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विजिलेंस द्वारा की जाएगी उच्च स्तरीय जांच
इस मामले में अब विजिलेंस विभाग को गहन जांच करने का आदेश दिया गया है। अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और ठेकेदारों की ब्लैकलिस्टिंग के बाद, इस पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी किया जाएगा। सरकार ने इस घोटाले में दोषियों को किसी भी स्तर पर बख्शने का इरादा नहीं जताया है।
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