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December 23, 2024

हिमाचल : स्पैल वैली में होने जा रहा भूंडा महायज्ञ, 1 लाख लोगों के आने की संभावना

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रोहड़ू। स्पैल वैली के देवता बकरालू मंदिर दलगांव में 39 साल बाद भूंडा महायज्ञ होने जा रहा है। 11 गांवों में भूंडा महायज्ञ के आयोजन के लिए तिथियाँ तय होने के बाद, इस क्षेत्र में नए नियम लागू कर दिए गए हैं। अब चार जनवरी 2025 तक इस क्षेत्र के ग्यारह गांवों में बड़े धार्मिक अनुष्ठानों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा, साथ ही शादी समारोहों पर भी पूरी तरह रोक रहेगी। यह फैसला भूंडा महायज्ञ की तिथि तय होने के बाद लिया गया है।

39 साल बाद हो रहा है भूंडा महायज्ञ

स्पैल वैली के देवता बकरालू मंदिर दलगांव में यह भूंडा महायज्ञ 39 साल बाद आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले, 1985 में इस महायज्ञ का आयोजन हुआ था और अब जनवरी 2025 में यह आयोजन होने जा रहा है। इस महायज्ञ की मेज़बानी स्पैल वैली के 11 गांव कर रहे हैं, जिनमें करालश, खोडसू, भमनाला, गांवणा, कुटाड़ा, बश्टाडी, बरेटली, खशकंडी और अन्य शामिल हैं। यह भी पढ़ें : हिमाचल का वीर जवान शहीद- पत्नी और 5 साल के बच्चे का नहीं बचा कोई सहारा इसके अलावा, रामपुर क्षेत्र के दलोग जराशी गांव के लोग भी इस अनुष्ठान में शामिल होंगे। भूंडा महायज्ञ को शांत के बाद सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है और इसे कई जगह नरमेध यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है।

2 जनवरी से होगा आयोजन

भूंडा महायज्ञ का शुभारंभ इस साल 2 जनवरी को संघेड़ा रस्म से होगा। यह महायज्ञ पिछले अप्रैल महीने में मुंजी (विशेष घास) काटने से शुरू हो चुका था। अक्टूबर में मंदिर प्रांगण में पारंपरिक विधि विधान के साथ शिरा रस्म हुई थी, जिसके बाद बेड़ा (देवता का चयनित व्यक्ति) ने मुंजी की एक लंबी रस्सी बनाने का कार्य आरंभ किया। यह भी पढ़ें : हिमाचल : महिला ने की 12 लाख की चोरी- फिर खरीदे गहने, अब हुई गिरफ्तार

ये रहेंगी मुख्य रस्में 

2 जनवरी को संघेड़ा रस्म के साथ महायज्ञ की शुरुआत होगी, जबकि 3 जनवरी को मंदिर में शिखा पूजन की रस्म होगी। 3 जनवरी को ही बेड़ा डालने की मुख्य रस्म भी निभाई जाएगी, जिसमें रस्सी को ऊंची पहाड़ी से एक से दो किलोमीटर तक बांधकर देवता के चयनित व्यक्ति को काठ की घोड़ी पर बैठाकर पहाड़ी से नीचे उतारा जाएगा। यह रस्म भूंडा महायज्ञ की मुख्य रस्म मानी जाती है। इस व्यक्ति की एक साल तक मंदिर में सेवा की जाती है। यह भी पढ़ें : हिमाचल के प्रथम ने माता-पिता का नाम किया ऊंचा- वायु सेना में बना फ्लाइंग ऑफिसर

5 जनवरी को उछड़-पाछड़ रस्म

5 जनवरी को उछड़-पाछड़ रस्म के साथ महायज्ञ का समापन होगा। पंचायत के पूर्व प्रधान बलबीर बाष्टू के अनुसार, 2 जनवरी को देवताओं और मेहमानों का स्वागत किया जाएगा, 3 जनवरी को शिखा और फेर का पूजन होगा और 4 जनवरी को बेड़ा रस्सी पर चढ़ाया जाएगा। पांच जनवरी को देवताओं की विदाई का कार्यक्रम होगा। यह भी पढ़ें : हिमाचल : डिपुओं में अब नए साल में मिलेगा सरसों तेल का कोटा, जानें डिटेल

1 लाख लोगों के आने की संभावना

इस महायज्ञ के दौरान क्षेत्र में 1 लाख लोगों के आने की संभावना जताई जा रही है। इस विशाल अनुष्ठान की तैयारी पिछले एक साल से चल रही है और अब जब तारीख तय हो गई है तो क्षेत्र में अन्य बड़े धार्मिक अनुष्ठान और शादी समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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