कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। बता दें कि रोहतांग, कुल्लू, और लाहौल की ऊंची चोटियों पर रुक-रुककर बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से यह बदलाव आया है।
बर्फबारी शुरू- ठंड बढ़ी
जिला कुल्लू में आज सुबह से आसमान में बादल घेर चुके हैं और ठंड भी पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। तापमान में आई गिरावट के चलते रोहतांग और आसपास की ऊंची चोटियों पर बर्फ के फाहे गिरने लगे हैं। किसान और बागवान लंबे समय से बारिश और बर्फबारी का इंतजार कर रहे थे। कुल्लू समेत अन्य जिलों में पिछले तीन महीनों से सूखा पड़ा था।
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ऐसे में यह मौसम बदलाव किसानों, बागवानों और पर्यटन कारोबारियों के लिए राहत लेकर आया है। बारिश और बर्फबारी से न केवल फसलों को संजीवनी मिल सकती है, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी मजबूती मिलेगी, जो इस समय सूखे के कारण मंदी का सामना कर रहा था।
चार दिन तक बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, 3 दिसंबर तक चंबा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, कांगड़ा और किन्नौर के ऊंचे क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी का अनुमान है। इन जिलों में मौसम की सक्रियता से ठंड और अधिक बढ़ने की संभावना है। हालांकि, अन्य जिलों में आगामी सात दिनों तक मौसम साफ रहने की संभावना है। 4 दिसंबर से सभी जिलों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। शनिवार सुबह मंडी में हल्का कोहरा भी देखा गया।
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सेब के बागों पर संकट, वूली एफिड कीट का हमला
सूखे के कारण सेब के बाग भी खतरे में हैं। बागों में नमी की कमी हो गई है और सूखा वूली एफिड कीट के हमले का कारण बन गया है, जिससे सेब की फसल पर संकट मंडरा रहा है। आमतौर पर बर्फबारी सेब के बागों के लिए लाभकारी होती है, क्योंकि यह कीटों और बीमारियों से बचाव करती है, लेकिन इस साल बर्फबारी तो दूर बारिश भी नहीं हो रही है।
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मानसून और बाद की बारिश में कमी
इस साल प्रदेश में मानसून और मानसून के बाद की बारिश सामान्य से काफी कम रही है। मानसून के दौरान 19 फीसदी कम बारिश हुई, जबकि मानसून के बाद के सीजन में तो 98 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। 1 अक्टूबर से 29 नवंबर तक प्रदेश में केवल 0.7 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 44 मिमी होने की संभावना थी।