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September 20, 2024

खतरे में हिमाचल का ये गांव- कंपनी पर गलत तरीके से ब्लास्टिंग के आरोप

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के राजधानी शिमला के उपमंडल रामपुर स्थित नरोला गांव में एक पावर प्रोजेक्ट के निर्माण में ब्लास्टिंग के कारण खतरा बन गया है। ब्लास्टिंग के कारण गांव पर भारी पत्थर गिरने की आशंका है और पावर प्रोजेक्ट द्वारा इस विषय पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। जिसके बाद ग्रामीणों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं, नरोला वासियों की इस पीड़ा पर हिमाचल हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए हैं। यह भी पढ़ें: हिमाचल : घर से रात को ड्यूटी पर आया था पंप ऑपरेटर, अचानक तारों में उलझा

हाईकोर्ट ने जाहिर की चिंता

हाईकोर्ट ने इस विषय पर गहरी चिंता व्यक्त भी की है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि ढलान संरक्षण का कार्य अभी भी लालफीताशाही में फंसा हुआ है। अभी तक सरकार द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कार्य शुरू करने की अनुमति न देने का बहाना बनाने की बजाय इस समस्या का निवारण करें। कोर्ट ने आदेश जारी किए है कि दो हफ्ते में समस्या का समाधान हो। यह भी पढ़ें: हिमाचल में पैदल नशा बेचने निकले थे पंजाबी युवक, लाखों की खेप के साथ हुए अरेस्ट

लुहरी प्रोजेक्ट के कारण गांव पर आया संकट

लहरी विद्युत प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान रामपुर के नरोला गांव के ऊपर बड़े पत्थर गिरने का खतरा बना हुआ है। मामला अवैज्ञानिक ब्लास्टिंग के कारण क्षतिग्रस्त होने से जुड़ा है। जिसके बाद अदालत ने इस मामले पर सुनवाई की है। वहीं अदालत ने यह भी पता करने के आदेश जारी किए है कि क्या कोई निवासी भवनों को हुए नुकसान की एवज में मुआवजे से वंचित तो नहीं रह गया है, जिसकी सुनवाई 4 नवंबर को होनी तय है। यह भी पढ़ें: दो बच्चों के सिर से उठा पिता का साया, बिजली विभाग की गलती?

SJVNL बोला- आरोप निराधार

रामपुर के नरोला गांव में लुहरी विद्युत परियोजना फेज-एक का निर्माण किया जा रहा है। वहीं, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण किन्नौर ने अदालत को स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से बताया है कि ठेकेदार के अवैज्ञानिक तरीके से ब्लास्टिंग करने के कारण घरों में दरारें पड़ी हैं। हालांकि एसजेवीएनएल इन आरोपों को निराधार बता रहा है। वहीं, जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि गांव के ऊपर ढांक में दरारें आने से गांव में जान व माल का खतरा बना हुआ है। कोर्ट ने इन आरोपों की असलियत जानने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण किन्नौर के सचिव से रिपोर्ट तलब की थी.

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