शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) की कार्यप्रणाली नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती में देरी के कारण संदेह के घेरे में आ गई है। विश्वविद्यालय ने 2020-21 में विज्ञापित पदों के लिए अब तक भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं की है, जिससे 52,000 से अधिक बेरोजगार युवा निराश हैं। वहीं, इसका खुलासा RTI के माध्यम से हुआ है।
रूपांश राणा ने दायर की थी RTI
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत रूपांश राणा नामक एक व्यक्ति द्वारा HPU प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 29 पोस्ट कोड में लगभग 300 पदों के लिए प्राप्त आवेदनों से विश्वविद्यालय ने 4.09 करोड़ रुपये की राशि इकट्ठा की है। तीन वर्षों से अधिक समय गुजरने के बावजूद भर्ती परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया।
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52,915 युवाओं ने किया था आवेदन
इस देरी के कारण बेरोजगार युवाओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वे केवल पैसे इकट्ठा करने में लगे हैं। HPU ने पूर्व जयराम सरकार के कार्यकाल में 2020 और 2021 में नॉन-टीचिंग स्टाफ के करीब 300 पदों को भरने के लिए दो बार विज्ञापन जारी किया था।
इस प्रक्रिया में लगभग 52,915 युवाओं ने आवेदन किया, जिससे विश्वविद्यालय को चार करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी हुई।
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पदों के लिए ली थी इतनी फीस
HPU ने 2020-21 में नॉन-टीचिंग स्टाफ की विभिन्न श्रेणियों के लिए आवेदन मांगे थे, जिसमें बी, सी और डी ग्रेड के लाइब्रेरियन, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, मेडिकल ऑफिसर, क्लर्क, JOA-IT, माली और बेलदार जैसे पद शामिल हैं।
आवेदन के लिए फीस की संरचना भी अलग-अलग रखी गई थी। बी-ग्रेड पदों के लिए अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों से 2000 रुपये और आरक्षित श्रेणी के लिए 1000 रुपये लिए गए थे। सी और डी ग्रेड के पदों के लिए यह राशि क्रमशः 1200 रुपये और 600 रुपये थी।
क्या कहते हैं रूपांश राणा
रूपांश राणा ने कहा कि तीन साल बाद भी परीक्षा का आयोजन नहीं होने से HPU को स्पष्ट करना चाहिए कि इकट्ठा की गई राशि का क्या हुआ। उन्होंने आशंका जताई कि विश्वविद्यालय अब नए पदों का विज्ञापन करने की योजना बना रहा है, जिससे पहले से आवेदन करने वाले युवाओं के लिए यह एक धोखा होगा।
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वहीं, एक अन्य उम्मीदवार पवन शर्मा ने बताया कि कई युवाओं ने इस तीन साल के अंतराल में अपनी आयु सीमा पूरी कर ली है और अब वे अपात्र हो गए हैं। यदि HPU नए पदों का विज्ञापन करता है, तो पहले से आवेदन करने वाले युवाओं को आयु सीमा में छूट मिलनी चाहिए।
पूर्व बीजेपी सरकार में आई थी भर्तियां
सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के दौरान भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे। इस सरकार में भी भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हो रही है, जिससे युवाओं का धैर्य टूट रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर भी सवाल उठाया कि वे रोजगार के वादे को पूरा करने के बजाय युवाओं को शादी करने की सलाह दे रहे हैं।
HPU पर भ्रष्टाचार का आरोप
वहीं, छात्र संगठन SFI के राज्य अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने भी HPU पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि HPU में बड़ी संख्या में प्रोफेसरों की भर्ती नियमों के खिलाफ हुई है, जिसके कारण कोर्ट ने भी रोक लगाई है। SFI ने 13,000 पन्नों की RTI दाखिल की थी, जिसमें 70% भर्तियों के नियमों के उल्लंघन का खुलासा हुआ था।
HPU के रजिस्ट्रार वीरेंद्र शर्मा ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह कार्यालय से बाहर हैं और भर्ती प्रक्रिया पर कार्य चल रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन पदों को दोबारा विज्ञापित करने की कोई योजना नहीं है।