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October 17, 2024

सुक्खू सरकार के एक और फैसले पर HC सख्त- बच्चों के स्कूल जाने से जुड़ा है मामला

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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्कूली दाखिला पर बड़ा निर्देश दिया है।. हाईकोर्ट ने साफ किया है कि वह बिना उचित तैयारी के छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला देने से इन्कार नहीं कर सकती। यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने के संदर्भ में सुनाया।

शिक्षा नीति के तहत होगा दाखिला

खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा 31 मार्च 2021 को जारी सूचना के तहत दिए सुझावों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए। कोर्ट ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने का कोई वैधानिक आदेश नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य शिक्षा के बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि सरकार एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते नागरिकों के विविध हितों की रक्षा करने के लिए कानून के दायरे में काम करने के लिए बाध्य है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : घर के बाहर खेल रही मासूम को HRTC बस ने रौंदा, मची चीख-पुकार

पाठ्यक्रम अभी तक तैयार नहीं

कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी स्थिति में बच्चों को यूकेजी कक्षा दोहराने के लिए मजबूर करना शिक्षा नीति के उद्देश्य को पूरा नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि बालवाटिका एक, बालवाटिका दो और बालवाटिका तीन के लिए पाठ्यक्रम अभी तक तैयार नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने प्रारंभिक बाल देखभाल और शिक्षा के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं की है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में स्क्रब टाइफस ने छीनी दो जिंदगियां, अलर्ट हुआ स्वास्थ्य महकमा

6 साल से पहले भी दाखिला

खंडपीठ ने कहा कि जो बच्चे 6 वर्ष से कम आयु के हैं और प्री-स्कूल शैक्षिक पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं, उन्हें बिना किसी उचित कारण के पहली कक्षा में दाखिले से वंचित नहीं किया जा सकता। इस निर्णय ने प्रदेश के शैक्षिक ढांचे में सुधार और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्धारित की है।

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