शिमला। हिमाचल प्रदेश में सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के हित में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने का फैसला लिया है जिससे कर्मचारियों को तो राहत मिली। मगर, राज्य सरकार के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती खड़ी हो गई है। OPS लागू करने के बाद केंद्र से मिलने वाली लोन लिमिट में कमी आई है और राज्य सरकार को अपने वित्तीय प्रबंधन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या होती है लोन लिमिट
लोन लिमिट से तात्पर्य है कि राज्य सरकार को एक वर्ष में कितना कर्ज लेने की अनुमति होती है और यह सीमा केंद्र सरकार तय करती है। इस लिमिट के भीतर ही राज्य सरकार कर्ज ले सकती है। लोन लिमिट दो हिस्सों में बांटी जाती है—मार्च से दिसंबर तक का पहला हिस्सा और जनवरी से मार्च तक का दूसरा हिस्सा। इस साल के लिए राज्य सरकार के पास 517 करोड़ रुपए की लोन लिमिट बची है, जिसे राज्य सरकार अगले कुछ दिनों में कर्ज के रूप में इस्तेमाल करने वाली है। हालांकि, सरकार ने इस लोन को लेने के लिए भी ड्राफ्ट तैयार कर दिया है।
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सरकार की लोन लिमिट समाप्त
वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हिमाचल सरकार ने पहले ही केंद्र से जनवरी से मार्च तक की लोन लिमिट के लिए आवेदन किया है। पिछले साल की आखिरी तिमाही में, राज्य को 1700 करोड़ रुपए की लोन लिमिट मिली थी। इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि राज्य को उतनी ही राशि मिलेगी, जो वित्तीय प्रबंधन के लिहाज से राहतकारी हो सकती है।
वर्तमान में, राज्य को 6217 करोड़ रुपए की लोन लिमिट मिली थी। लेकिन अब इस लिमिट में से केवल 517 करोड़ रुपए ही बची हैं। यह रकम अगले सप्ताह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित बोली से राज्य सरकार के खजाने में आ जाएगी।
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NPS और OPS में अंतर
पहले राज्य में न्यू पेंशन स्कीम (NPS) लागू थी जिसमें कर्मचारियों के वेतन से कुछ हिस्सा कटता था। राज्य सरकार भी अपना योगदान देती थी। इसके बदले में केंद्र सरकार राज्य को अधिक लोन लिमिट देती थी, जिससे राज्य को कर्ज लेने में सहूलियत होती थी।
अब OPS लागू होने के बाद, कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती और राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाली लोन लिमिट में कमी हो गई है। इसका मतलब है कि अब राज्य सरकार को कम लोन लिमिट मिलेगी, जिससे उसे कर्ज लेने में समस्या हो सकती है।
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सरकार के सामने वित्तीय चुनौती
हिमाचल सरकार की नजरें अब केंद्र से लोन लिमिट की मंजूरी पर हैं। यदि यह मंजूरी जल्दी मिलती है, तो राज्य सरकार को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले राहत मिल सकती है। ओपीएस लागू करने से जहां कर्मचारियों को लाभ हुआ, वहीं राज्य सरकार को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
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हालांकि, राज्य सरकार ने केंद्र से लोन लिमिट बढ़ाने के लिए आवेदन किया है और मंजूरी मिलने पर राज्य को कुछ राहत मिल सकती है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि सुक्खू सरकार किस तरह इन वित्तीय चुनौतियों से निपटती है और हिमाचल की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कौन से कदम उठाए जाते हैं।