सिरमौर। हिमाचल प्रदेश में सरकार स्कूलों के डिनोटिफाई और मर्ज करने का सिलसिला जारी है। कई क्षेत्रों में ग्रामीणों ने स्कूल बंद करने पर सरकार के खिलाफ आवाज भी उठाई है। वहीं, जिला सिरमौर के रनवा स्कूल के मर्ज करने का मुद्दा प्रदेश में गरमाया था। जिसके बाद ग्रामीणों ने हाईकोर्ट का रूख किया। हाईकोर्ट ने स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा मर्ज करने के आदेशों पर रोक लगा दी है।
क्या है मामला
जिला सिरमौर में आते रनवा स्कूल को हरिपुरधार स्कूल के साथ मर्ज कर दिया गया था। जिसका विरोध ग्रामीणों द्वारा किया गया। ग्रामीणों का कहना था कि रनवा से हरिपुरधार की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 8 किलोमीटर है। वहीं, रास्ते भी ठीक नहीं है। पैदल चलने वाले रास्तों पर अब कोई नहीं चलता और बच्चों को इस रास्ते में 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा।
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बच्चे कैसे जाएंगे पैदल
ग्रामीणों का तर्क था कि 3 किलोमीटर के रास्ते में 2 खड्ड बरसात के दिनों में उफान पर होती है। कई स्थानों से अकसर चट्टानें गिरती रहती है। वहीं, इस रास्ते में एक किलोमीटर से अधिक खड़ी चढ़ाई है।
बच्चे तो स्कूल आने जाने में ही थक जाएंगे। जिसके देखते हुए ग्रामीणों से सरकार से गुहार लगाई कि इस स्कूल को बंद ना किया जाए। शिक्षा विभाग की ओर से कोई जवाब ना मिलने के बाद ग्रामीणों से हाईकोर्ट में केस दर्ज करवाया।
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2 सितंबर को दायर की याचिका
वहीं, इस केस के अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया कि शिक्षा विभाग ने मौके की वस्तुस्थिति जाने बगैर ही स्कूल को बंद करके दूसरे स्कूल के साथ मर्ज कर दिया गया है। वहीं, उनका कहना था किनवंबर से लेकर मार्च तक हरिपुरधार व रनवा में डेढ़ से ढाई फीट तक बर्फ गिरती है।
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ऐसी स्थिति में बच्चे कैसे स्कूल तक का सफर तय करेंगे। 2 सितंबर को ग्रामीणों ने प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जहां अदालत ने सभी तथ्यों की जांच की और प्राइमरी स्कूल रनवा को हरिपुरधार में मर्ज करने पर स्टे लगा दिया।