शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आउटसोर्स भर्तियों के मामले में एक अहम आदेश जारी किया। बता दें कि इस अहम फैसले ने राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका दिया गया है। कोर्ट ने सभी आउटसोर्स भर्तियों पर तत्काल रोक लगा दी है और सरकार से संबंधित डाटा की मांग की है।
आउटसोर्स भर्तियों पर अस्थायी रोक
इस आदेश के तहत, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में होने वाली आउटसोर्स भर्तियों पर अस्थायी रोक लगा दी गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पंजीकृत सभी कंपनियों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। जब तक यह डाटा वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं होगा, तब तक आउटसोर्स भर्तियों पर यह रोक जारी रहेगी।
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फर्जी कंपनियों का आरोप
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में यह आरोप लगाया कि प्रदेश में 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं और इन कंपनियों के माध्यम से हजारों लोगों को आउटसोर्स आधार पर भर्ती किया जा रहा है। कोर्ट ने इस आरोप पर गंभीरता से विचार करते हुए आदेश दिया कि जब तक इन कंपनियों का डाटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होगा, तब तक आउटसोर्स भर्तियां रोकी जाएं।
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सुक्खू सरकार की भर्ती प्रक्रिया पर असर
बता दें कि राज्य सरकार हाल ही में बड़े पैमाने पर आउटसोर्स भर्तियों की प्रक्रिया में जुटी हुई थी। खासकर शिक्षा विभाग में लगभग 6,000 टीचरों को आउटसोर्स पर नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही थी। इसके अलावा, वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग में भी नर्सों की आउटसोर्स भर्ती की जा रही थी। अब इस आदेश के बाद लगभग 10,000 पदों पर होने वाली भर्तियां रुक जाएंगी।
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शिमला में धरना दे रहे टीचर्स
जानकारी देते चलें कि शिमला में 2100 से अधिक वोकेशनल टीचर्स पिछले पांच दिनों से धरने पर बैठे हैं। ये टीचर्स स्थायी पॉलिसी बनाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें कंपनियों की ओर से एरियर नहीं मिल रहा है। इन टीचर्स का कहना है कि उन्हें लंबे समय से स्थायी नियुक्ति का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
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मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को निर्धारित की है, जब इस मामले पर और भी फैसले हो सकते हैं। यह फैसला सरकार और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि इसने एक बार फिर हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स नीति और भर्तियों की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर दिया है।