शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है। आंकड़े बता रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है और शिक्षक की कमी इसे और जटिल बना रही है। पिछले महीने आयोजित क्वालिटी एजुकेशन वर्कशॉप में प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने जो आंकड़े पेश किए गए है। जो प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र की गंभीर स्थिति को स्पष्ट करते हैं।
180 स्कूलों में शिक्षक नहीं
प्रदेश में 180 सरकारी स्कूल अभी भी बिना किसी शिक्षक के चल रहे हैं। इसके अलावा, 3100 स्कूलों में एक मात्र शिक्षक पूरे स्कूल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अगर प्रारंभिक और उच्च शिक्षा विभाग के आंकड़े मिलाएं, तो 27,000 से ज्यादा शिक्षक के पद अभी भी खाली हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे सरकारी स्कूलों में छात्रों का दाखिला बढ़ेगा और प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकार की शिक्षा प्रणाली को बेहतर किया जाएगा।
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64,000 बच्चों का एडमिट
वहीं, पिछले कुछ सालों से शिक्षा विभाग ने एनरोलमेंट बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण योजना प्री-प्राइमरी कक्षाओं की शुरुआत थी। इस योजना के तहत प्रदेश के 3000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में 64,000 बच्चों को एडमिट किया गया। हालांकि, इस योजना के बावजूद प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आज तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। यह कार्य भी जेबीटी शिक्षक ही कर रहे हैं।
नियुक्ति में और देरी
राज्य सरकार ने 6297 प्री-प्राइमरी टीचर्स की भर्ती के लिए एक योजना बनाई थी, लेकिन हाई कोर्ट में मामला अटका होने के कारण भर्ती प्रक्रिया लंबित है। पिछले दो साल में 2151 टीजीटी और जेबीटी की भर्ती की गई, लेकिन 2800 पदों पर भर्ती नहीं हो सकी। इसके अलावा शास्त्री और पीईटी के पदों पर भी हाई कोर्ट में केस चल रहे हैं, जिससे इन पदों की नियुक्ति में और देरी हो रही है।
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सरकारी स्कूलों को मिली इतनी एनरोलमेंट
एक और चिंता की बात यह है कि 2024-25 में सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में सिर्फ 22,146 बच्चे दाखिल हुए, जबकि निजी स्कूलों में 46,426 बच्चों का दाखिला हुआ। इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि सरकारी स्कूलों को केवल 32 प्रतिशत बच्चों का एडमिशन मिला, जो अब तक का सबसे कम आंकड़ा है।
15,156 सरकारी स्कूल
बता दें कि प्रदेश में स्कूलों का आकार भी एक बड़ी समस्या बन गया है। प्रदेश में 15,156 सरकारी स्कूल हैं, लेकिन इन स्कूलों में से औसतन प्रत्येक स्कूल में केवल 50 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि, राष्ट्रीय स्तर पर भारत में औसतन 166 बच्चों का स्कूल साइज है। देश के अन्य देशों की तुलना करें तो चीन में औसतन 565 बच्चे एक स्कूल में होते हैं और अमेरिका में यह संख्या 526 है।
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शिक्षकों की कमी बड़ी समस्या
प्रदेश में 72 प्रतिशत प्राइमरी स्कूलों में 30 से कम बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, 1845 मिडल स्कूलों में 83 प्रतिशत स्कूलों में एनरोलमेंट 30 से कम है। पिछले दो सालों में 1054 स्कूलों को जीरो एनरोलमेंट के कारण डी-नोटिफाई किया गया है। सरकारी स्कूलों में शिक्षक की कमी और घटती एनरोलमेंट की समस्या का समाधान करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
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