शिमला। हिमाचल प्रदेश में बिजली का संकट लगातार गहरा रहा है। आने वाले दिनों के लिए ये अलर्ट भी माना जा सकता है। बता दें कि सर्दियों के मौसम में नदियों और खड्डों में पानी का स्तर घटने से बिजली उत्पादन में कमी आ रही है। जानकारी है कि यह संकट मार्च महीने तक जारी रह सकता है और अगर समय रहते अच्छी बारिश नहीं होती, तो जलस्तर में वृद्धि होने की संभावना कम है।
बिजली उत्पादन में गिरावट
बता दें कि प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL) के तहत राज्य में कुल 26 पावर प्रोजेक्ट्स संचालित होते हैं, लेकिन इनमें से कई परियोजनाएं या तो बंद हो चुकी हैं या बंद होने के कगार पर हैं। वर्तमान में इन परियोजनाओं से केवल 17 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन उत्पादन हो रही है, जो पहले के मुकाबले बहुत कम है।
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कुछ परियोजनाओं में तो केवल 2 या 3 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इन परियोजनाओं का कम उत्पादन और बर्फबारी के कारण जलस्तर में कमी की वजह से बिजली संकट और गहरा सकता है।
बिजली की खरीदारी बढ़ी, बाहर से ज्यादा बिजली आ रही
राज्य को अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहर से ज्यादा बिजली खरीदनी पड़ रही है। प्रदेश को पंजाब राज्य से रोजाना 129 लाख यूनिट बिजली बैंकिंग के माध्यम से मिल रही है और 65 लाख यूनिट बिजली खरीदकर प्रबंधित की जा रही है।
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इसके अलावा, केंद्र सरकार के उपक्रमों से भी 90 लाख यूनिट बिजली रोजाना मिल रही है, जिसमें से 27 लाख यूनिट सतलुज जल विद्युत निगम की नाथपा झाखड़ी और रामपुर परियोजनाओं से आ रही हैं। हालांकि इन परियोजनाओं से भी उत्पादन कम हो चुका है।
370 से 380 लाख यूनिट खपत
स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों द्वारा संचालित बड़े और छोटे प्रोजेक्ट्स से भी केवल 35 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन उत्पन्न हो रही है, जबकि राज्य की रोजमर्रा की बिजली खपत लगभग 370 से 380 लाख यूनिट के बीच है।
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ठंड के मौसम में बढ़ी बिजली खपत
सर्दियों के मौसम में बिजली की खपत भी बढ़ जाती है। जैसे ही तापमान गिरता है, लोग हीटर्स और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाते हैं, जिससे बिजली की खपत में इजाफा होता है। इन दिनों दिन में मौसम ठीक रहता है और धूप भी निकलती है जिससे बिजली की खपत कम होती है। लेकिन जैसे ही ठंड बढ़ती है, बिजली की खपत बढ़ जाती है और सिस्टम पर दबाव पड़ता है। वर्तमान में, राज्य की बिजली बोर्ड को बाहरी स्रोतों से बिजली खरीदकर स्थिति को संभालना पड़ रहा है।
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भविष्य में और बढ़ सकता है संकट
यदि आने वाले दिनों में बारिश नहीं होती और जलस्तर में सुधार नहीं आता तो बिजली संकट और गंभीर हो सकता है। इससे न केवल बिजली बोर्ड को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, बल्कि आम जनता को भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।