शिमला। हिमाचल प्रदेश में साल 2025 की शुरुआत के साथ राज्य सरकार ने 28 हजार अधिकारियों को महंगी बिजली मिलना शुरू कर दी है। इस निर्णय के तहत राज्य के 12 हजार क्लास वन और 16 हजार क्लास टू अधिकारियों को अब बिना सब्सिडी के बिजली के बिल का भुगतान करना होगा। यह फैसला CM सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में दिसंबर महीने में हुई बैठक में लिया गया था।
इन्हें नहीं मिलेगी सब्सिडी
पिछले महीने CM सुक्खू की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक हुई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि एक जनवरी से क्लास-1 और क्लास-2 अधिकारियों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी नहीं मिलेगी। अब इन अधिकारियों को पूरी दरों पर बिजली बिल भरना होगा।
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क्या है वर्तमान में स्थिति
बता दें कि बिजली बोर्ड वर्तमान में उपभोक्ताओं को विभिन्न श्रेणियों में सब्सिडी प्रदान करता है। उदाहरण के तौर पर, 0-125 यूनिट की खपत पर 3.53 रुपये, 126-300 यूनिट पर 1.83 रुपये और 300 यूनिट से अधिक पर 1.03 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी दी जाती है। लेकिन CM सुक्खू के आदेश के अनुसार, अब क्लास-1 और क्लास-2 अधिकारियों को यह सब्सिडी नहीं मिलेगी, और उन्हें पूरी दरों पर बिल चुकाना होगा।
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सीएम ने शुरू की पहल
CM सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस फैसले की शुरुआत खुद से की है। उन्होंने अपने सरकारी आवास ओक ओवर में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान सब्सिडी छोड़ने का परफार्मा भरकर इस पहल की शुरुआत की। इसके बाद, कैबिनेट मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने भी सब्सिडी छोड़ने का निर्णय लिया है।
125 यूनिट बिजली मिलेगी मुफ्त
वहीं, CM सुक्खू ने यह भी घोषणा की कि राज्य में 125 यूनिट तक बिजली सभी उपभोक्ताओं को मुफ्त मिलती है, चाहे वे गरीब हों या सुविधायुक्त। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे लोग जिनको सब्सिडी की आवश्यकता नहीं है उन्हें भी बिजली बोर्ड से सब्सिडी मिल रही थी जिससे बोर्ड को घाटा हो रहा था।
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बिजली बोर्ड में सुधार की जरूरत
CM ने यह भी कहा कि बिजली बोर्ड में सुधार की जरूरत है। कई बैठकों के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि जो लोग सब्सिडी के पात्र नहीं हैं, वे भी इसका लाभ ले रहे हैं और यह स्थिति बिजली बोर्ड के घाटे का कारण बन रही है। इसलिए सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है ताकि सिर्फ जरूरतमंदों को ही सब्सिडी मिले।
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अधिकारियों और विधायकों को भी मिलेगी महंगी बिजली
इस फैसले के लागू होने के बाद, राज्य के सभी अधिकारी और विधायक बिना किसी सब्सिडी के बिजली का बिल भरेंगे। यह कदम बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए उठाया गया है। साथ ही, इससे सरकार की सब्सिडी नीति में सुधार भी होगा और सब्सिडी की सही तरीके से वितरण सुनिश्चित होगा।