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November 23, 2025

मेरी गोद खाली हो गई - आंगन सूना हो गया... शहीद नमांश की मां की चीखों ने हर शख्स को रूला दिया

शहीद नमांश स्याल का सैन्य सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार

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धर्मशाला। देश के वीर सपूत विंग कमांडर नमांश स्याल आज अपने पैतृक गांव हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के  पटियालकड़ में पूरे सैन्य सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हो गए। दुबई एयर शो के दौरान हुए तेजस विमान हादसे में शहीद हुए हिमाचल के इस वीर के अंतिम दर्शन के लिए गांव, जिला और आसपास के इलाकों से जनसैलाब उमड़ पड़ा। गग्गल हवाई अड्डे से जैसे ही पार्थिव देह गांव की ओर रवाना हुई, रास्ते भर लोग हाथ जोड़कर, फूल बरसाकर और नमांश अमर रहें के नारों के साथ अपने वीर को अंतिम विदाई देते रहे।

मां की करुण पुकार ने सबको रुला दिया

जब पार्थिव देह घर पहुंची, तो नमांश की मां वीना देवी बेसुध होकर चीख़ पड़ीं। शहीद नमांश स्याल की मां बेसुध हालत में भी एक ही बात कह रही थी। मैं उसे गोद में लेकर चलती थी, आज उसे डिब्बे में लेकर आई हूं- मेरी गोद खाली हो गई, मेरा आंगन सूना पड़ गया।  शहीद की मां की यही करुण आवाज़ पूरे गांव में गूंज उठी। जो भी सुनता, उसकी आंखें नम हो जातीं। पिता जगन्नाथ भी अपने आंसू रोक नहीं पाए, जबकि नमांश की सात वर्षीय बेटी मासूम नज़रों से भीड़ को देखती रही, वह अब तक समझ ही नहीं पा रही कि आखिर उसके पापा को क्या हुआ है।

 

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बता दें कि शहीद नमांश की पार्थिव देह आज रविवार को सेना के विमान से कांगड़ा एयरपोर्ट पर लाई गई। इसी विमान में शहीद के माता पिता, पत्नी और बेटी भी कांगड़ा पहुंचे। इस दौरान शहीद की पत्नी अफाशां ने भारतीय वायुसेना की वर्दी पहन रखी थी और अपने आंसूंओं को रोके रखा। लेकिन जब घर में पति का अंतिम विदाई देने का समय आया तो वह अपने आंसू रोक नहीं पाई।

 

हर कोई अपने ही बेटे जैसा रोया

अपने शहीद बेटे को अंतिम विदाई देने के लिए ना सिर्फ पटियालकड़ गांव बल्कि आसपास के कई गांवों के सैंकड़ो लोग जवान के घर के बाहर पहुंची हुई थी। युवक, बुजुर्ग, महिलाएं, स्कूली बच्चे.. सभी अपने वीर सपूत को अंतिम प्रणाम करने पहुंचे। पूरे गांव में मातम पसरा था, लेकिन दिलों में गर्व भी था कि हिमाचल की मिट्टी ने ऐसा वीर देश को दिया।

 

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भारतीय वायुसेना ने दी अंतिम सलामी

मोक्षधाम पर नमांश स्याल को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। वायुसेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया। उनकी चिता को मुखाग्नि उनके चचेरे भाई ने दी, क्योंकि नमांश का कोई सगा भाई नहीं था। चिताग्नि देते समय आसपास खड़े लोग अपनी भावनाएं रोक नहीं पाए। कई लोग सिसकते हुए भारत माता की जय और नमांश अमर रहें के नारे लगा रहे थे।

शहीद की देह के साथ ही घर पहुंचे माता-पिता, पत्नी बेटी

इससे पहले रविवार दोपहर को सेना के विशेष विमान से शहीद विंग कमांडर नमांश स्याल की पार्थिव देह कांगड़ा एयरपोर्ट पर लाई गई। इस विमान में शहीद के साथ उसके माता पिता, पत्नी और बेटी भी साथ ही कांगड़ा एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से शहीद की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव नगरोटा बगवां के पटियालकड़ लाई गई। जैसी ही पार्थिव देह घर पहुंची हर तरफ गम का माहौल छा गया।  गांव पटियालकड़ की हर गली मातम में डूबी थी और लोगों की आंखें उस जवान बेटे के इंतजार में नम थीं, जिसने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

 

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पत्नी ने अंतिम समय तक बनाए रखा हौंसला 

कांगड़ा एयरपोर्ट पर वायुसेना के अधिकारियों के साथ जब उनका पार्थिव शरीर पहुंचा तो वहां मौजूद हर व्यक्ति का हृदय द्रवित हो उठा। सबसे अधिक भावुक कर देने वाला क्षण तब आयाए जब उनकी पत्नी विंग कमांडर अफशां एयरफोर्स की वर्दी पहने अपने पति की अंतिम यात्रा के साथ खड़ी दिखीं। पूरे समय उन्होंने अपने जज्बातों को मजबूत बनाए रखा, लेकिन अंतिम सलामी देते हुए उनकी आंखें भी बरस पड़ीं।

पिता की पार्थिव देह निहारती रही मासूम बेटी

पास ही खड़ी दंपत्ति की सात वर्षीय छोटी बेटी सब समझे बिना अपने पिता के तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को अपलक निहारती रही। मासूम की खामोशी वहां मौजूद हर व्यक्ति के दिल को चीर रही थी। घर पहुंचते ही मां वीना देवी बेटे के विछोह को सहन नहीं कर पाईं और बेसुध होकर रो पड़ीं। पिता जगन्नाथ स्याल भी कोयंबटूर से गगल पहुंचने तक खुद को संभालते रहे, लेकिन बेटे की अंतिम यात्रा शुरू होते ही उनका सब्र टूट गया।

 

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कोयंबटूर में तैनात थे विंग कमांडर नमांश

परिवार के अनुसार नमांश की तैनाती सैलूर कोयंबटूर में थी। उनकी पत्नी अफशां इन दिनों कोलकाता में प्रशिक्षण ले रही थीं। बेटी की देखभाल के लिए दादा.दादी सैलूर में ही रह रहे थे। हादसे की सूचना मिलते ही एयरफोर्स ने विशेष विमान की व्यवस्था की और रविवार सुबह नौ बजे पार्थिव देह को कोयंबटूर से रवाना किया गया।

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