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October 30, 2024

हिमाचल की मेडिसिन मार्केट का बड़ा खेल- सैंपल फेल होने पर भी घर-घर पहुंच रही दवा

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में दवाइयों के सैंपल फेल होने के बावजूद बाजार में उनकी बिक्री जारी रहने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने सरकार के ड्रग कंट्रोलर से रिपोर्ट मांगी है और घटिया दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग पर फटकार लगाई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में तीखी नाराजगी जताई।

अदालत ने पूछे है सवाल

वहीं, कोर्ट ने पूछा कि राज्य में सैंपल फेल होने के बावजूद दवाइयां कैसे बिक रही हैं। ड्रग कंट्रोलर को अगली सुनवाई में इस बारे में विस्तार से जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने यह भी पूछा कि दवाइयों के विश्लेषण के लिए प्राइवेट लैब को किस आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। यह भी पढ़ें हिमाचल : शादी की धाम खाकर घर लौट रहे थे दो दोस्त, कार की ट्रक से हुई टक्कर

डिप्टी कंट्रोलर का स्पष्टीकरण

मंगलवार को डिप्टी कंट्रोलर व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए। उन्होंने बताया कि कई दवाइयां नमी, तापमान, पैकिंग और ट्रांसपोर्ट के दौरान खराब हो जाती हैं। अदालत ने इस पर नाराजगी व्यक्त की और पूछा कि दवाइयों को मार्केट में लाने से पहले कितनी बार टेस्टिंग की जाती है। यह भी पढ़ें : आधी रात हिमाचल पहुंची प्रियंका गांधी, पति वाड्रा भी संग आए- दिवाली मनाकर लौटेंगी

डिप्टी कंट्रोलर ने दिया स्पष्टीकरण

डिप्टी कंट्रोलर ने अदालत को बताया कि सरकार हर वर्ष केंद्र के साथ एक बार संयुक्त जांच करती है और आखिरी बार तीन महीने पहले टेस्टिंग की गई थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि नियमानुसार दवाइयों के सैंपलों की हर महीने जांच होनी चाहिए, जो कि नहीं हो रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई नामी कंपनियों के उत्पाद  भी है।  मिस्वाक टूथ पेस्ट का सैंपल भी फेल पाया गया। यह भी पढ़ें : हिमाचल पुलिस ने साथी से खुलवाया मुंह और अरेस्ट हो गए 6 तस्कर, राधे गैंग का सच जानिए

सरकार की ओर से आश्वासन

डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को आश्वस्त किया कि नियम बनाने और दवाओं के घटिया निर्माताओं के खिलाफ सजा का प्रावधान बढ़ाने के लिए मामला केंद्र से उठाया जाएगा। उधर, महाधिवक्ता अनूप रत्न ने अदालत को बताया कि राज्य में वर्तमान में 10 निजी और 2 सरकारी लैब हैं। इनमें से सात सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं। कुछ लैबों के खिलाफ सरकार ने मामले दर्ज कर दिए हैं और नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।

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