शिमला। हिमाचल प्रदेश के कई लोगों ने डूबने के कारण अपनी जान गवाई है। प्रदेश में हर साल डूबने से औसतन 500 लोगों की मौत होती है। मगर आने वाले समय में ऐसा ना हो उसके लिए SDRF, लोकल पुलिस और होमगार्ड के जवानों को ट्रेंन किया जाएगा।
डूबने से 500 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
DGP डॉ. अतुल वर्मा ने बताया कि 2006 से 2010 के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सूबे में हर साल 500 से ज्यादा लोगों की मौत डूबने के कारण होती है। इनमें से 75% लोगों की मौत आकस्मिक थी और 16% लोगों की मौत आत्महत्या करने के कारण हुई थी।
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गर्मियों में हुई सबसे ज्यादा घटनाएं
DGP वर्मा ने बताया कि सूबे में डूबने की ज्यादातर घटनाएं गर्मियों में हुई हैं। गर्मियों में 34% लोगों की मौत डूबने के कारण हुई है। जबकि, मानसून में 31% लोगों ने डूबने के कारण जान गवाईं है।
इन दो जिलों में बढ़ा आंकड़ा
उन्होंने बताया कि प्रदेश के कांगड़ा और मंडी जिले में सबसे ज्यादा डूबने की घटनाएं पेश आई हैं। इन दोनों जिलों में सबसे ज्यादा डूबने से लोगों की मौतें हुई है।
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26 हॉटस्पॉट की पहचान
उन्होंने बताया कि 26 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है- जिन पर पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी निगरानी की जाएगी। साथ ही ये सुनिश्चित किया जाएगा कि लोग को जल निकायों के पास जाने से रोका जा सके। ऐसी जगहों पर पुलिस कर्मियों की नियमित ड्यूटी लगाई जाएगी।
लाइफ गार्ड किए जाएंगे तैनात
वहीं, डूबने से हुई मौत के आंकड़ों के बारे में जानकारी देते हुए SP अर्जित सेन ठाकुर ने बताया कि इसके लिए एक SOP तैयार की गई है। इसमें डूबने की घटनाओं को रोकने और किसी भी घटना के होने की स्थिति पर जल्द से जल्द प्रतिक्रिया करने के लिए तैयारियां की गई हैं।
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ठाकुर ने बताया कि इसके तहत डूबने की घटनाओं पर जल्द एक्शन लेने और बचाव अभियान भी चलाया जाएगा। इसमें पुलिस और मेडिकल टीमों की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने बताया सभी हॉटस्पॉट वाली जगहों के पुलिस स्टेशनों से होमगार्ड की पहचान की गई है। जो कि इन जगहों पर लाइफ गार्ड के रूप में काम करेंगे।